उप्र के डीजीपी बताएं कि कैदियों को सजा में छूट के लिए क्या कदम उठाए गए : न्यायालय

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

इससे पहले शीर्ष अदालत ने एक फैसले में उत्तर प्रदेश में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 500 कैदियों की छूट पर असर डालने वाले कई निर्देश जारी किए थे।

UP DGP should tell what steps have been taken to give relief to the prisoners: Court

New Delhi : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से राज्य में कैदियों को सजा में छूट का लाभ देने के लिए अब तक उठाए गए कदमों के बारे में विवरण देते हुए अपनी व्यक्तिगत क्षमता के तहत एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य से यह जानकारी देने को भी कहा कि प्रत्येक जिले की जेलों में कितने दोषी हैं, जो समय पूर्व रिहाई के पात्र हैं। पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल थे। 

पीठ ने कहा, “इस मामले के फैसले के बाद से कितने मामलों में समय पूर्व रिहाई के लिए विचार किया गया है...?” 

शीर्ष अदालत ने राज्य के अधिकारियों के पास समय पूर्व रिहाई के लंबित मामलों का विवरण मांगते हुए यह भी जानना चाहा कि इन पर कब तक विचार किया जाएगा। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने आदेश दिया कि पुलिस महानिदेशक को तीन सप्ताह की अवधि के भीतर आवश्यक जानकारी देते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा।

न्यायालय ने इस मामले में अदालत की सहायता के लिये वकील ऋषि मल्होत्रा को ‘न्याय मित्र’ नियुक्त किया।

इससे पहले शीर्ष अदालत ने एक फैसले में उत्तर प्रदेश में आजीवन कारावास की सजा काट रहे लगभग 500 कैदियों की छूट पर असर डालने वाले कई निर्देश जारी किए थे।

फैसले में कहा गया था कि उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की समयपूर्व रिहाई के सभी मामलों पर राज्य की अगस्त 2018 की नीति के अनुसार विचार किया जाएगा।

न्यायालय ने कहा था कि कैदियों को समय से पहले रिहाई के लिए आवेदन जमा करने की कोई आवश्यकता नहीं है और उनके मामलों पर जेल अधिकारियों द्वारा स्वत: विचार किया जाएगा।

फैसले में कहा गया था कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पात्र दोषियों की रिहाई के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए और जिन मामलों में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, संबंधित अधिकारियों को एक महीने के भीतर उससे निपटना चाहिए।

इसने कहा था कि आजीवन कारावास की सजा पाए सभी पात्र कैदियों की समयपूर्व रिहाई पर चार महीने की अवधि के भीतर विचार किया जाना चाहिए।