चंडीगढ़ : कर्नाटक के प्रोफेसर पंजाबी भाषा को बढ़ावा देने के मिशन पर

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

धरेन्नवर कर्नाटक के बीजापुर जिले के रहने वाले हैं, जो 2003 में पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ आए थे।

Chandigarh: Karnataka professor on mission to promote Punjabi language

चंडीगढ़ : पूरे पंजाब में घूम-घूमकर दुकानदारों और कारोबारियों से अपनी दुकान के बाहर पंजाबी भाषा का ‘साइनबोर्ड’ लगाने की अपील कर रहे चंडीगढ़ के 47 वर्षीय प्रोफेसर पंडित राव धरेन्नवर न तो पंजाब से ताल्लुक रखते हैं और न ही उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती तीन दशक में यह भाषा बोली थी।

धरेन्नवर कर्नाटक के बीजापुर जिले के रहने वाले हैं, जो 2003 में पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ आए थे। मौजूदा समय में वह चंडीगढ़ के सेक्टर-46 में एक परास्नातक सरकारी कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं।

पंजाबी भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में उनका हालिया प्रयास 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस से पहले लोगों को राज्यभर में निजी और सार्वजनिक भवनों पर पंजाबी भाषा का ‘साइनबोर्ड’ लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के पंजाब सरकार के कदम का अनुसरण करता है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मातृभाषा को सम्मान देने के उद्देश्य से पिछले साल नवंबर में ‘साइनबोर्ड’ पर अन्य भाषाओं के साथ पंजाबी भाषा को भी वरीयता देने के लिए व्यापक अभियान चलाने का आह्वान किया था।

धरेन्नवर पंजाबी भाषा में लिखी तख्ती साथ लेकर चलते हैं और दुकानदारों से अपनी दुकान का नाम पंजाबी में लिखने की अपील करते हैं। बकौल धरेन्नवर, ‘‘मैं दुकानदारों से कहता हूं कि उन्हें अपनी मातृभाषा को उचित सम्मान देना चाहिए और दुकान का नाम किसी अन्य भाषा में लिखने से पहले पंजाबी में लिखना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि लोगों को पंजाबी में लिखा ‘साइनबोर्ड’ लगाने पर गर्व महसूस होना चाहिए।

धरेन्नवर ने कहा कि उन्हें दुकानदारों से बहुत अच्छी प्रतिक्रया मिल रही है और वे पंजाबी भाषा वाले ‘साइनबोर्ड’ लगाने का संकल्प ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं खन्ना, लुधियाना, मोगा, पटियाला, राजपुरा, मोहाली और फतेहगढ़ साहिब में घूम चुका हूं और अब गुरदासपुर, पठानकोट, फिरोजपुर सहित अन्य शहरों में जाऊंगा।’’

धरेन्नवर की मातृभाषा कन्नड़ है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पंजाब के निजी विश्वविद्यालयों को भी पत्र लिखकर उनसे पंजाबी भाषा में लिखे ‘साइनबोर्ड’ अपनाने की अपील की है।’’

सहायक प्रोफेसर इससे पहले पंजाबी गानों में बंदूक संस्कृति, मादक पदार्थ, शराब और हिंसा के महिमामंडन के खिलाफ आवाज भी उठा चुके हैं। धरेन्नवर ने कहा कि जब उन्हें महसूस हुआ कि उनके छात्र अंग्रेजी में उतने पारंगत नहीं हैं, तो उन्होंने पंजाबी भाषा सीखी।

उन्होंने बताया, ‘‘जब मैं चंडीगढ़ आया था, तो मैं पंजाबी के बारे में कुछ नहीं जानता था। मैं अंग्रेजी में पढ़ाता था। एक दिन मैंने फैसला किया कि मुझे पंजाबी सीखनी चाहिए और छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाना चाहिए, ताकि वे विषय को बेहतर तरीके से समझ सकें।’’ धरेन्नवर ने सिख धार्मिक ग्रंथ ‘‘जपजी साहिब’’ का पंजाबी से कन्नड़ और ‘‘वचनों’’ का कन्नड़ से पंजाबी में अनुवाद किया है।

उन्होंने जोर दिया कि कर्नाटक की तरह ही पंजाब में भी उसके समृद्ध पंजाबी साहित्य, कविताओं और उपन्यासों का अन्य भाषाओं में अनुवाद करने के लिए केंद्र होना चाहिए।

धरेन्नवर कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों से आने वाले पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के डॉक्टरों को भी पंजाबी पढ़ाते हैं, ताकि वे पंजाब के मरीजों से उनकी स्थानीय भाषा में संवाद कर सकें। उन्होंने इस उद्देश्य के लिए एक पुस्तक ‘‘सत श्री अकाल डॉक्टर साहिब’’ भी लिखी है।. धरेन्नवर ने अपनी बेटी का नाम दूसरे सिख गुरु अंगद देव की पत्नी माता खीवी के नाम पर रखा है।