New Delhi : महापौर के चुनाव के बिना ही स्थगित हुई एमसीडी बैठक

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

महापौर चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षदों के अलावा दिल्ली के सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सदस्य तथा 14 विधायक शामिल हैं।

New Delhi: MCD meeting adjourned without mayor's election

New Delhi :  उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा नियुक्त 10 ‘एल्डरमैन’ (मनोनीत पार्षद) को पहले शपथ दिलाने को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षदों के तीखे विरोध के बीच नवनिर्वाचित दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की पहली बैठक शुक्रवार को महापौर और उप महापौर के चुनाव के बिना ही स्थगित कर दी गई। महापौर और उप महापौर चुनाव के लिए नियुक्त पीठासीन अधिकारी एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पार्षद सत्या शर्मा ने कहा, “एमसीडी सदन की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई है। अगली तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।”

सदन की कार्यवाही पहले चार ‘एल्डरमैन’ के शपथ लेने के बाद एक घंटे के लिए स्थगित की गई थी।

शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हम जल्द एक बार फिर बैठक करेंगे और बाकी ‘एल्डरमैन’ को पहले शपथ दिलाई जाएगी।” एमसीडी सदन में 10 ‘एल्डरमैन’ को शपथ दिलाने की प्रक्रिया शुरू किए जाने के साथ ही हंगामा होने लगा। ‘आप’ के कई विधायक और पार्षद पार्षद नारे लगाते हुए आसन के करीब पहुंच गए। उन्होंने निर्वाचित पार्षदों के बजाय ‘एल्डरमैन’ को पहले शपथ दिलाने का विरोध किया।

बैठक की शुरुआत भाजपा पार्षद सत्या शर्मा को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के महापौर और उप महापौर पद के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में शपथ दिलाने के साथ हुई।

शर्मा के ‘एल्डरमैन’ मनोज कुमार को शपथ लेने के लिए आमंत्रित करने पर ‘आप’ के विधायक और पार्षद विरोध करने लगे। कई विधायक और पार्षद नारे लगाते हुए सदन में आसन के करीब पहुंच गए।

‘आप’ पार्षदों के पीठासीन अधिकारी की मेज सहित अन्य मेज पर खड़े होकर नारेबाजी करने के बीच शपथ दिलाने की प्रक्रिया रोक दी गई। भाजपा के पार्षद भी मेज के आसपास जमा हो गए। उन्होंने ‘आप’ और उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारेबाजी ‍शुरू कर दी। हंगामे के बीच दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के सदस्यों पर हाथापाई का आरोप भी लगाया।

‘आप’ विधायक सौरभ भारद्वाज ने दावा किया कि मनोनीत सदस्य (एल्डरमैन) एमसीडी सदन में कभी मतदान नहीं करते।

उन्होंने आरोप लगाया, “न तो महापौर चुनाव में और न ही उप महापौर चुनाव में। उन्हें स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में भी वोट डालने की अनुमति नहीं है। भाजपा गलत तरीकों से अपने वोटों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रही है।”

वहीं, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए ‘आप’ की निंदा करते हुए संवाददाताओं से कहा, “वे चुनाव का सामना करने से डर क्यों रहे हैं? इससे एक फिर साबित होता है कि उन्हें स्थापित नियमों और मानदंडों में जरा-भी भरोसा नहीं है।”

बैठक एमसीडी मुख्यालय ‘सिविक सेंटर’ इमारत में हुई, जहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।

एमसीडी में 250 निर्वाचित पार्षद शामिल हैं। दिल्ली में भाजपा के सात लोकसभा सांसद और ‘आप’ के तीन राज्यसभा सदस्य तथा दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा नामित 14 विधायक भी महापौर और उप महापौर पद के लिए होने वाले चुनावों में हिस्सा लेंगे।.

स्थायी समिति के छह सदस्य भी चुने जाएंगे।. नौ पार्षदों वाली कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।. ‘आप’ को 250 सदस्यीय एमसीडी में स्पष्ट बहुमत हासिल है।

हालांकि, कुछ भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि महापौर और उप महापौर चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, क्योंकि एमसीडी में दल-बदल कानून लागू नहीं होता और चुनाव में ‘क्रॉस-वोटिंग’ भी संभव है।

उन्होंने कहा है कि महापौर चुनाव गुप्त मतदान के जरिये होता है और पार्षद किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए स्वतंत्र हैं।

‘आप’ ने पिछले साल दिसंबर में हुए एमसीडी चुनाव में 134 वार्डों में जीत दर्ज कर दिल्ली नगर निगम में भाजपा के 15 साल पुराने शासन का अंत कर दिया था। भाजपा एमसीडी चुनाव में 104 वार्ड में विजयी रही थी। बाद में, मुंडका के निर्दलीय पार्षद गजेंद्र दराल भाजपा में शामिल हो गए थे।.

महापौर चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 250 निर्वाचित पार्षदों के अलावा दिल्ली के सात लोकसभा और तीन राज्यसभा सदस्य तथा 14 विधायक शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में ‘आप’ के 13 और भाजपा के एक सदस्य को मनोनीत किया है।

महापौर चुनावों में कुल वोट 274 हैं। वोटों का गणित ‘आप’ के पक्ष में नजर आ रहा है, जिसके पास भाजपा के 113 के मुकाबले 150 वोट हैं। कांग्रेस के नौ पार्षदों के नौ वोट और दो निर्दलीय पार्षदों के दो वोट भी हैं।

हालांकि, दिल्ली भाजपा के महापौर और उप महापौर पद के चुनावों में जीत दर्ज करने की संभावना न के बराबर है, लेकिन वह महत्वपूर्ण स्थायी समिति के तीन पद हासिल करने की कोशिश करेगी। स्थायी समिति में 18 सदस्य होते हैं, जिनमें से 12 क्षेत्र से और छह सदन से चुने जाते हैं।.