Patanjali Misleading Ad Case News: पतंजलि विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, रामदेव-बालकृष्ण की माफी खारिज
जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि इन लोगों ने तीन बार हमारे आदेशों की अनदेखी की है। इन लोगों ने गलती की है और इसका परिणाम भुगतना होगा।'
Patanjali misleading ad case news in hindi: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इस बीच बाबा रामदेव और बालकृष्ण कोर्ट में पेश हुए। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच सुनवाई कर रही है। इससे पहले 2 अप्रैल को हुई सुनवाई में पतंजलि की ओर से माफीनामा दाखिल किया गया था।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने कहा कि हमने इस मामले में सुझाव दिया था कि बिना शर्त माफी मांगी जानी चाहिए। कोर्ट ने स्वामी रामदेव के बिना शर्त माफी के हलफनामे को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि इन लोगों ने तीन बार हमारे आदेशों की अनदेखी की है। इन लोगों ने गलती की है और इसका परिणाम भुगतना होगा।'
हम हलफनामे को खारिज कर रहे हैं - कोर्ट
जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, आप हलफनामे में धोखाधड़ी कर रहे हैं, इसे किसने तैयार किया? मैं आश्चर्यचकित हूं। वहां जस्टिस कोहली ने कहा कि आपको ऐसा हलफनामा नहीं देना चाहिए था। इस पर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमसे गलती हुई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गलती! बहुत छोटा शब्द वैसे हम इस बारे में फैसला करेंगे।' कोर्ट ने कहा कि हम इसे कोर्ट के आदेश का जानबूझकर किया गया उल्लंघन मान रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम हलफनामे को खारिज कर रहे हैं, यह सिर्फ कागज का टुकड़ा है। हम अंधे नहीं हैं! हम सब कुछ देख सकते हैं। इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि जब लोग गलती करते हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गलती करने वालों को भुगतना भी पड़ता है। फिर उन्हें कष्ट भोगना पड़ता है।
इसी बीच एक शख्स ने अपनी याचिका में बताया कि मेरी मां ने इस विज्ञापन पर भरोसा किया था लेकिन उन्हें कोई फायदा नहीं मिला। कोर्ट ने दस हजार रुपये जुर्माने के साथ उस याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने कोर्ट में सुर्खियां बटोरने के बीच ऐसी याचिका कैसे दाखिल कर दी? इसे बदनीयती से दाखिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकार बनने की मांग करने वाले जयदीप निहारे की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया कि 10 हजार रुपये का जुर्माना एक सप्ताह के अंदर अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा किया जाये। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपकी मां की मृत्यु 2019 में हो गई, आप इतने सालों तक क्या कर रहे थे?
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