Dog Bites Cases in India: भारत में हर रोज़ कुत्तों के हमले में 10,000 लोग मारे जाते हैं: TOI रिपोर्ट
भारत में हर रोज़ कुत्तों के हमले में 10,000 लोग मारे जाते हैं, जिनमें बच्चे, बुज़ुर्ग और युवा सभी वर्ग के लोग शामिल हैं
10,000 People Are Killed by Dogs Everyday in India: भारत में कुत्तों के हमलों की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर रोज़ कुत्तों के हमले में 10,000 लोग मारे जाते हैं, जिनमें बच्चे, बुज़ुर्ग और युवा सभी वर्ग के लोग शामिल हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। इसी के चलते हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर एक बड़ा आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का ज़िम्मा स्थानीय निकायों को सौंपा था। इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर देश की जनता दो हिस्सों में बँट गई है।
कुत्तों से प्यार करने वालों का कहना है कि यह फ़ैसला आवारा कुत्तों के प्रति क्रूरता है, लेकिन जो लोग आवारा कुत्तों के शिकार हुए हैं, वे इस फ़ैसले का स्वागत कर रहे हैं। सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर क्या निर्देश दिए हैं और इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी? आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों, रेबीज़ के मामलों और इनसे होने वाली मौतों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था।
देश में कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के प्रशासनिक अधिकारियों को सड़कों पर घूम रहे सभी आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर उनकी नसबंदी करने और फिर उन्हें डॉग शेल्टर में रखने का निर्देश दिया है। इसके लिए अधिकारियों को 8 हफ़्ते यानी दो महीने का समय दिया गया है। इस दौरान स्थानीय नगर निगमों को भी डॉग शेल्टर बनाकर उनमें आवारा कुत्तों को रखना होगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़ने का हर दिन रिकॉर्ड रखा जाए और किसी भी आवारा कुत्ते को दोबारा सड़क पर न छोड़ा जाए। कोर्ट ने स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों के बारे में शिकायत मिलने के 4 घंटे के भीतर कार्रवाई करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डॉग लवर्स काफी नाराज हैं, क्योंकि कोर्ट ने आवारा कुत्तों के खिलाफ इस कार्रवाई का विरोध करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान से जुड़े शोधकर्ताओं ने भी अध्ययन में खुलासा किया है कि भारत में हर साल रेबीज के कारण 5,726 लोगों की मौत हो रही है, जो चिंता का विषय है। इसके साथ ही, देश में हर साल जानवरों के काटने की 90 लाख से ज़्यादा घटनाएँ होती हैं, जिनमें से दो-तिहाई कुत्तों के काटने के कारण होती हैं। इनमें से कई लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और इस लापरवाही की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है। हैरानी की बात यह है कि रेबीज़ से होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण इलाकों में होता है, जहाँ जागरूकता और इलाज की सुविधाएँ अभी भी सीमित हैं।
आपको बता दें कि न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस रिपोर्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त की। पीठ यह जानकर हैरान रह गई कि देश में कुत्तों के काटने के औसतन 20,000 मामले दर्ज होते हैं, जिनमें से 2,000 घटनाएँ दिल्ली में हर दिन सामने आ रही हैं। इसके साथ ही, इस साल बेंगलुरु और पंजाब में कुत्तों के काटने के 10,000 मामले सामने आए हैं।
आपको बता दें कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कुत्ते के काटने के मामलों में मुआवज़ा देने का आदेश दिया था। प्रत्येक दांत के निशान के लिए 10,000 रुपये और 0.2 सेमी से ज़्यादा मांस के निशान के लिए 20,000 रुपये दिए जाएँगे। इसके साथ ही, पंजाब सरकार ने आम आदमी क्लीनिकों में रेबीज़ का टीका मुफ़्त उपलब्ध कराया है।
पागल कुत्ते के काटने पर क्या करें और क्या न करें
अगर पागल कुत्ता किसी व्यक्ति को काट ले, तो काटे गए स्थान को साबुन से धोकर साफ़ कर देना चाहिए। इसके बाद तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए। रेबीज़ संक्रमित कुत्ते की लार से फैलता है। इसलिए, पागल कुत्तों से दूरी बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए और अगर कुत्ते में रेबीज़ के कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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