न्यायालय का नबाम रेबिया के आदेश की समीक्षा याचिकाओं को वृहद पीठ को भेजने से इनकार

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

नबाम रेबिया फैसला विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी अर्जियों पर फैसला लेने की विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों से जुड़ा है।

SC refuses to refer review petitions of Nabam Rebia's order to larger bench

New Delhi:  उच्चतम न्यायालय ने शिवसेना के दो धड़े बनने के बाद महाराष्ट्र में जून 2022 में पैदा हुए सियासी संकट संबंधी याचिकाओं को 2016 के नबाम रेबिया फैसले की समीक्षा के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। नबाम रेबिया फैसला विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी अर्जियों पर फैसला लेने की विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों से जुड़ा है।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 21 फरवरी को इस बात पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर 2016 के फैसले में संदर्भ की आवश्यकता है या नहीं।

पीठ में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘‘मामले के गुण-दोष को लेकर सुनवाई मंगलवार पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे होगी।’’

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और ए.एम. सिंघवी ने नबाम रेबिया फैसले पर फिर से विचार करने के लिए याचिकाओं को सात सदस्यीय पीठ को भेजे जाने का अनुरोध किया था।. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकीलों हरीश साल्वे और एन.के. कौल ने इसे वृहद पीठ को भेजे जाने का विरोध किया था।

महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इसका विरोध किया था।.

पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया के मामले पर फैसला दिया था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए नोटिस सदन में पहले से लंबित हो, तो वह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दी गई अर्जी पर कार्यवाही नहीं कर सकता।.

इस फैसले से शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों को राहत मिल गई थी। दरअसल ठाकरे ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का आग्रह किया था, जबकि शिंदे खेमे ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि सीताराम जिरवाल को हटाने के लिए पहले नोटिस दिया था जो सदन के समक्ष लंबित था।.