बच्चों की गुमशुदगी पर Supreme Court चिंतित, रिपोर्ट में खुलासा- 'हर 8 मिनट में एक बच्चा हो रहा लापता'
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया 9 दिसंबर तक का वक्त
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक समाचार रिपोर्ट पर चिंता जताई, जिसमें कहा गया था कि देश में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है। अदालत ने इसे एक अत्यंत गंभीर मुद्दा करार दिया। जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि देश में गोद लेने की प्रक्रिया काफी जटिल है और केंद्र सरकार से इसे सरल बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा। ('One child goes missing every eight minutes in the country'- Supreme Court)
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति नागरत्ना ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “मैंने अखबार में पढ़ा है कि देश में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है। यह जानकारी कितनी सही है, मैं नहीं जानती, लेकिन यह निश्चित रूप से एक गंभीर चिंता का विषय है।”शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल होने के कारण उसका उल्लंघन होना स्वाभाविक है, और इसी वजह से लोग बच्चों को पाने के लिए अवैध तरीकों का सहारा लेते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 9 दिसंबर तक का समय दिया
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने लापता बच्चों के मामलों की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने हेतु छह सप्ताह का समय मांगा। लेकिन शीर्ष अदालत ने इतना समय देने से इनकार करते हुए निर्देश दिया कि यह प्रक्रिया 9 दिसंबर तक पूरी की जाए।
14 अक्तूबर को पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लापता बच्चों के मामलों की निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहे, और उनके नाम तथा संपर्क विवरण महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित मिशन वात्सल्य पोर्टल पर उपलब्ध कराए जाएं। पीठ ने यह भी आदेश दिया था कि पोर्टल पर किसी लापता बच्चे से जुड़ी शिकायत दर्ज होने पर उसकी जानकारी तुरंत संबंधित नोडल अधिकारियों के साथ साझा की जाए।
शीर्ष अदालत इससे पहले केंद्र को निर्देश दे चुकी है कि वह लापता बच्चों का पता लगाने और संबंधित मामलों की जांच के लिए गृह मंत्रालय के अधीन एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल तैयार करे।
पीठ ने यह भी संकेत दिया था कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लापता बच्चों की खोज में शामिल पुलिस अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी एक बड़ी समस्या है। अदालत ने सुझाव दिया था कि पोर्टल पर प्रत्येक राज्य के लिए एक नामित अधिकारी होना चाहिए, जो न सिर्फ जानकारी साझा करे बल्कि गुमशुदगी की शिकायतों की निगरानी की जिम्मेदारी भी संभाले।
गौरतलब है कि एनजीओ गुरिया स्वयंसेवी संस्थान ने शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था। याचिका में अपहरण या लापता बच्चों से जुड़े अनसुलझे मामलों के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा संचालित खोया/पाया पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर की जाने वाली कार्रवाई का मुद्दा उठाया गया था।
याचिका में पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में दर्ज पांच मामलों का उल्लेख करते हुए बताया गया था कि कैसे नाबालिग लड़के और लड़कियां अपहरण के बाद दलालों के नेटवर्क के जरिए झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में तस्करी कर भेजी गईं।
(For more news apart from 'One child goes missing every eight minutes in the country'- Supreme Court news in hindi, stay tuned to Rozanaspokesman Hindi)