न्यायालय ने पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक का अंतरिम महासचिव बने रहने की अनुमति दी

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

पीठ ने ओ. पनीरसेल्वम द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

Court allows Palaniswami to continue as interim general secretary of AIADMK (फोटो साभार PTI)

New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मद्रास उच्च न्यायालय का वह आदेश बरकरार रखा जिसमें के. पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक का अंतरिम महासचिव बने रहने की अनुमति दी गयी थी। अब वह पार्टी के इकलौते सर्वोच्च नेता होंगे। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने 12 जनवरी को मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था। पीठ ने ओ. पनीरसेल्वम द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के दो सितंबर 2022 के आदेश को बरकरार रखा है और अपने पहले के अंतरिम आदेश को स्थायी कर दिया है।’’ इसने कहा, ‘‘हमने पार्टी के समक्ष प्रस्तावों के मामलों पर सुनवाई नहीं की जिस पर एकल पीठ सुनवाई कर रही है। हम उक्त प्रस्तावों को कानून के अनुसार निपटाए जाने के लिए छोड़ते हैं।’’

यह फैसला अन्नाद्रमुक की 11 जनवरी 2022 को आम परिषद की बैठक के दौरान पार्टी के उपनियमों में किए गए संशोधन से जुड़ी याचिकाओं पर आया। इस बैठक में पलानीस्वामी को नेता चुना गया था जबकि उनके विरोधी ओ. पनीरसेल्वम तथा उनके कुछ सहयोगियों को निष्कासित कर दिया गया था।

उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद चेन्नई में अन्नाद्रमुक के मुख्यालय में जश्न शुरू हो गया।

उच्चतम न्यायालय के आदेश से खुश पलानीस्वामी ने कहा कि इस फैसले ने ‘‘विश्वासघात’’ करने वालों और ‘‘द्रमुक की बी-टीम’’ का पर्दाफाश कर दिया जो उनकी पार्टी को खत्म करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला दिवंगत मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन और जे. जयललिता जैसे पार्टी के दिग्गजों की ‘दिव्यता’ का परिणाम है।

मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दो सितंबर को पलानीस्वामी की अपील को मंजूर करते हुए एकल पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें अन्नाद्रमुक की 11 जुलाई की आम परिषद की बैठक को अमान्य घोषित किया गया था। जयललिता के वफादार रहे पनीरसेल्वम को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। जयललिता जब भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद थीं तो पनीरसेल्वम उनकी जगह मुख्यमंत्री रहे थे।