स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव, अब साल में दो बार होगी बोर्ड परीक्षा
कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा और इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होनी चाहिए।
New Delhi: शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा का नया राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचा (एनसीएफ) तैयार किया है जिसके तहत अब बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी और छात्र-छात्राओं को इसमें सर्वश्रेष्ठ अंक बरकरार रखने का विकल्प होगा। इसके साथ ही कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा और इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होनी चाहिए।
नए पाठ्यचर्या ढांचे के अनुसार, स्कूल बोर्ड उचित समय में ‘मांग के अनुसार' परीक्षा की पेशकश करने की क्षमता विकसित करेंगे। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, नयी शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार नया पाठ्यचर्या ढांचा तैयार है और इसके आधार पर 2024 के शैक्षणिक सत्र के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार की जाएंगी ।
इसमें कहा गया है कि कला एवं विज्ञान, पाठ्यक्रम संबंधी या पाठ्येत्तर गतिविधियों तथा व्यवसायिक एवं अकादमिक विषयों के बीच कोई सख्त विभाजन रेखा नहीं होनी चाहिए। स्कूली स्तर पर ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे’ के दस्तावेज के अनुसार, कक्षा 11वीं और 12वीं में विषयों का चयन कला, विज्ञान, वाणिज्य 'स्ट्रीम' तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि छात्र-छात्राओं को अपनी पसंद का विषय चुनने की आजादी मिलेगी।
इसमें कहा गया है कि नए पाठ्यचर्या ढांचे के तहत बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी और छात्र-छात्राओं को सर्वश्रेष्ठ अंक बरकरार रखने की इजाजत होगी।
दस्तावेज में कहा गया है कि वर्तमान में जिस तरह से बोर्ड परीक्षाएं ली जाती हैं, उससे किसी एक दिन अपेक्षित प्रदर्शन नहीं करने से बोर्ड परीक्षा के परिणाम पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है । चूंकि ये परीक्षाएं साल में एक बार ली जाती हैं तो किसी एक दिन खराब प्रदर्शन करने वाले छात्र के पास कोई विकल्प नहीं बचता है। इसमें कहा गया है कि ऐसी परीक्षाएं बहुत अधिक मात्रा में तथ्यों संबंधी परीक्षा से संबंधित होती हैं और इसके कारण तनाव भी पैदा होता है।
इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार एनसीएफ के अनुसार, ऐसे में बोर्ड परीक्षा संबंधी बदलाव की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि बोर्ड परीक्षा को पाठ्यक्रम के अनुरूप माध्यमिक स्तर पर क्षमताओं का मूल्यांकन करना चाहिए। ये परीक्षाएं छात्र के प्रदर्शन की वैध एवं विश्वसनीय तस्वीर प्रस्तुत करने वाली होनी चाहिए।. इसमें कहा गया है कि छात्रों पर बोर्ड परीक्षा के बोझ को कई कदमों के जरिए कम किया जा सकता है। इसमें सामग्री के बोझ को कम करना और आसान बनाना, तथ्यों पर जोर देने की बजाए क्षमताओं पर ध्यान देना शामिल है।
दस्तावेज के अनुसार, इसमें बोर्ड परीक्षा वर्ष में कम से कम दो बार पेश करना शामिल है ताकि छात्रों को दूसरी बार परीक्षा देने और अपना प्रदर्शन बेहतर बनाने का विकल्प मिल सके ।
पाठ्यचर्या ढांचे के अनुसार, छात्र उस बोर्ड परीक्षा में उपस्थित हो सकता है जिसके लिए वह तैयार महसूस कर रहा हो। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए एक समग्र परीक्षा सामग्री बैंक तैयार किया जा सकता है जिसका उपयोग उपयुक्त साफ्टवेयर के माध्यम से परीक्षा लेने में उपयोग किया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि दीर्घकाल में सभी बोर्ड को सेमेस्टर या आवधिक प्रणाली को अपनाना चाहिए। दस्तावेज के अनुसार, छात्र इसमें से उस परीक्षा में उपस्थित हो सकते हैं जिसके लिए वे अपने को तैयार महसूस करेंगे। इसके अनुसार, कक्षा 11 और 12 के छात्र-छात्राओं को दो भाषाओं का अध्ययन करना होगा और इनमें से कम से कम एक भाषा भारतीय होनी चाहिए।
नये पाठ्यचर्या ढांचे के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं महीनों की कोचिंग और रट्टा लगाने की क्षमता के मुकाबले छात्र-छात्राओं की समझ और दक्षता के स्तर का मूल्यांकन करेंगी। इसके तहत कक्षाओं में पाठ्य पुस्तकों को 'कवर' करने की मौजूदा प्रथा से बचा जाएगा और पाठ्य पुस्तकों की कीमतों में कमी लाई जाएगी।
दस्तावेज के अनुसार, स्कूली शिक्षा पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप चार स्तरों में विभाजित किया गया है। इसमें पहला ‘बुनियादी स्तर’ है जिसमें 3 से 8 वर्ष आयु वर्ग के छात्र आयेंगे। दूसरा ‘तैयारी स्तर’ है जिसमें 8 से 11 वर्ष आयु वर्ग के छात्र होंगे। तीसरा ‘मध्य स्तर’ है जिसमें 11 से 14 वर्ष आयु वर्ग के छात्र होंगे तथा चौथा ‘माध्यमिक स्तर’ है जिसमें 14 से 18 आयु वर्ग के छात्र होंगे।