SC पहुंचा नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है.- याचिकाकर्ता

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नई दिल्ली: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट को निर्देश जारी करना चाहिए कि 'नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करें।

याचिकाकर्ता और पेशे से वकील सीआर जयासुकिन ने याचिका में कहा है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं. संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं. लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है.  लोकसभा सचिवालय ने संविधान का उल्लंघन किया है. सुकिन ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही मामले की सुनवाई करेगा। बता दें कि नए भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है. 

नए संसद भवन के पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन का कांग्रेस, टीएमसी, राजद समेत 19 पार्टियों ने विरोध किया है. वहीं, बीजेपी समेत 17 पार्टियों ने सरकार के न्यौते को स्वीकार कर लिया है. विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अनदेखी कर इसका उद्घाटन करने का फैसला न केवल अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर सीधा हमला भी है. बुधवार को विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया कि इस सरकार में लोकतंत्र की भावना को संसद से बाहर कर दिया गया है. ऐसे में नया भवन बनाने का कोई मतलब नहीं है।

बीजेपी समेत ये 17 पार्टियां करेंगी शिरकत

भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), शिरोमणि अकाली दल, NPP, NDPP, SKM, JJP, RLJP, RP (आठवले), अपिमा दल (S), तमिल मनीला कांग्रेस, AIADMK, BJD, तेलुगु देशम पार्टी, YSR कांग्रेस, IMKMK और आजसू एमएनएफ इस समारोह में भाग लेंगे।

ये पार्टियां कर रही हैं विरोध

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से यह घोषणा की है।