नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री पर हमला जारी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के ‘अहंकार’ ने संसदीय प्रणाली को ‘ध्वस्त’ कर दिया है।
New Delhi: विपक्षी दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बृहस्पतिवार को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उनकी सरकार के ‘अहंकार’ ने संसदीय प्रणाली को ‘ध्वस्त’ कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। अब तक 21 विपक्षी दलों ने कहा है कि वे समारोह में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के ‘अहंकार’ ने संसदीय प्रणाली को ‘ध्वस्त’ कर दिया है।
खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘मोदी जी, संसद जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है। राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है। आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘140 करोड़ भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक छीनकर आप क्या दिखाना चाहते हैं?’’
कांग्रेस की इस टिप्प्णी से एक दिन पहले ही करीब 20 विपक्षी दलों ने मोदी द्वारा संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले की घोषणा की।
कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की और आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अलग से कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है, तो उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘कल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में झारखंड उच्च न्यायालय में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का उद्घाटन किया। एक व्यक्ति के अहंकार और स्व-प्रचार की इच्छा ने प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नयी दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन के उनके संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है।’’
उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘अशोक द ग्रेट, अकबर द ग्रेट, मोदी द इनॉग्यरेट।’
तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा, ‘‘भारत की विविधता और बहुलता का प्रतिनिधित्व कर रहे 20 दलों द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार एक तानाशाही सरकार द्वारा संसदीय परंपराओं के बहिष्कार का जवाब है।’’ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपति द्वारा ही संसद भवन का उद्घाटन कराये जाने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘राष्ट्रपति न केवल गणराज्य प्रमुख हैं, बल्कि संसद की भी प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं।’’
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रत्येक वंदे भारत ट्रेन का उद्घाटन करने और कोविड टीका प्रमाणपत्रों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर छपी होने का जिक्र करते हुए कहा कि यह ‘‘तानाशाहों की निशानी’’ है। भाकपा सांसद बिनय विस्वम ने कहा कि विपक्ष ने जो मुद्दे उठाये हैं, उन पर जवाब नहीं मिले हैं। उन्होंने पूछा कि सरकार ने विपक्ष से यह कैसे कह दिया कि वह उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के फैसले पर पुनर्विचार करे।