राजधानी में पहला Cloud Seeding ट्रायल, जल्द हो सकती है बारिश; प्रदूषण रोकने को कमर्शियल वाहनों पर पाबंदी

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसे कमर्शियल व्हीकल्स की एंट्री पर एक नवंबर से रोक लगा दी है।

First Cloud Seeding Trial in the Capital news in hindi

Delhi Cloud Seeding: दिल्ली में मंगलवार को क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया गया। इस चार घंटे के ट्रायल के दौरान किसी भी समय बारिश होने की संभावना थी। इस काम के लिए कानपुर से विशेष विमान 'सेसना' को रवाना किया गया था। क्लाउड सीडिंग खेकड़ा, बुराड़ी, मयूर विहार और अन्य कई इलाकों में की गई। (First Cloud Seeding Trial in the Capital news in hindi) 

दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए ऐसे कमर्शियल व्हीकल्स की एंट्री पर एक नवंबर से रोक लगा दी है, जो बीएस-6 (BS-VI) मानकों के अनुरूप नहीं हैं। कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने मंगलवार को आदेश जारी किया।

इस दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला। मंगलवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 306 दर्ज किया गया, जो सोमवार के 315 के स्तर से कम था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट के बावजूद, वायु गुणवत्ता अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।

क्लाउड सीडिंग के लिए DGCA ने पहले ही अनुमति प्रदान कर दी थी। 23 अक्टूबर को राज्य सरकार ने राजधानी में पहली बार कृत्रिम बारिश का सफल परीक्षण किया था। दिवाली के बाद से वायु गुणवत्ता में लगातार तेज गिरावट देखी गई है, और राजधानी की हवा की गुणवत्ता अब भी 'बेहद खराब' बनी हुई है।

ट्रायल डेटा से बड़े प्लान की तैयारी दिल्ली सरकार का लक्ष्य है कि सर्दियों से पहले वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके, जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है। यह कोशिश एन्वायर्नमेंट एक्शन प्लान 2025 का हिस्सा है। ट्रायल से जो डेटा मिलेगा, वह भविष्य में क्लाउड सीडिंग को बड़े पैमाने पर लागू करने में मदद करेगा।

भारत में इससे पहले भी कई बार ऐसे क्लाउड सीडिंग हो चुकी हैं। भारत में 1983, 1987 में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने 1993-94 में ऐसा किया गया था। इसे सूखे की समस्या को खत्म करने के लिए किया गया था। साल 2003 में कर्नाटक सरकार ने भी क्लाउड सीडिंग करवाई थी। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसा किया जा चुका है।

सोलापुर में क्लाउड सीडिंग से 18% ज्यादा बारिश वैज्ञानिकों की एक स्टडी में पाया गया कि महाराष्ट्र के सोलापुर में क्लाउड सीडिंग से सामान्य स्थिति की तुलना में 18% ज्यादा बारिश हुई। यह प्रक्रिया सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे कणों को बादलों में फैलाकर बारिश को बढ़ाते हैं। 2017 से 2019 के बीच 276 बादलों पर यह प्रयोग किया गया, जिसे वैज्ञानिकों ने रडार, विमान और स्वचालित वर्षामापी जैसे आधुनिक उपकरणों से मापा।

क्या होती है क्लाउड सीडिंग? (What is Cloud seeding?) 

क्लाउड सीडिंग (Cloud seeding) में सिल्वर आयोडाइड (AgI) का इस्तेमाल कर बादलों को कंसट्रेशन बढ़ाकर बारिश कराई जाती है. इस कंडेंसेशन (संघनन) की प्रक्रिया तेज हो जाती है। बादल पानी की बूंदों में बदलकर बरसने लगते हैं।इसे ही क्लाउड सीडिंग कहा जाता है। दुबई और चीन जैसे देश में काफी ज्यादा आर्टीफीशियल रेन का इस्तेमाल होता है।

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