दिल्ली HC ने दो हजार रुपये के नोट बंद करने संबंधी याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

दो हजार के नोट को वापस लेने के आरबीआई के फैसले के खिलाफ रजनीश भास्कर गुप्ता ने जनहित याचिका दायर की है।

Delhi HC reserves verdict on plea seeking demonetisation of Rs 2,000 notes

New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) द्वारा दो हजार रुपये के नोट बंद करने के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। याचिकाकता ने इसमें दावा किया है कि रिजर्व बैंक किसी बैंक नोट को परिचालन से नहीं हटा सकता और यह शक्तियां केंद्र सरकार में निहित हैं। दो हजार के नोट को वापस लेने के आरबीआई के फैसले के खिलाफ रजनीश भास्कर गुप्ता ने जनहित याचिका दायर की है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायधीश सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिकाकर्ता और आरबीआई के पक्ष को सुनने के बाद इस जनहित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि किसी भी मूल्य के बैंक नोट को जारी नहीं करने या उसका परिचालन रोकने का स्वतंत्र अधिकार आरबीआई के पास नहीं है और आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 24(2) के तहत यह शक्ति केंद्र सरकार में निहित है।

गुप्ता का पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप पी अग्रवाल ने जानना चाहा कि आरबीआई कैसे इस निष्कर्ष पर पहुंचा की इन नोटों की अवधि केवल चार-पांच वर्ष है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया, ‘‘आरबीआई अधिनियम की धारा- 22 और 27 के तहत केंद्रीय बैंक का अधिकार केवल नोट जारी करने और पुन : जारी करने तक सीमित है लेकिन ऐेसे नोटों का इस्तेमाल करने की अवधि केंद्र सरकार द्वारा तय की जाती है।’’

अग्रवाल ने कहा कि बिना पर्ची या पहचान पत्र के दो हजार रुपये के नोट जमा करने के लिए आरबीआई और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने 29 मई को फैसला दिया है लेकिन यह मामला उससे अलग है।

याचिका का विरोध करते हुए आरबीआई ने कहा कि वह दो हजार रुपये के नोट केवल परिचालन से वापस ले रहा है जो ‘मुद्रा प्रबंधन प्रणाली’का हिस्सा है और आर्थिक नीति का मामला है।

आरबीआई का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पराग पी त्रिपाठी ने कहा कि उच्च न्यायालय पहले ही इसी परिपत्र/ अधिसूचना को लेकर दायर एक अन्य जनहित याचिका को खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक एक ही मामले पर कई जनहित याचिका नहीं हो सकती।

गौरतलब है कि सोमवार को उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें दावा किया गया था कि बिना दस्तावेज दो हजार रुपये के नोट बदलने के लिए आरबीआई और एसबीआई द्वारा जारी परिपत्र मनमाना और भ्रष्टाचार रोधी कानूनों के विपरीत है।