Delhi Excise Policy: ईडी ने धन शोधन के आरोप में कारोबारी अमित अरोड़ा को किया गिरफ्तार

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, दिल्ली

अरोड़ा को स्थानीय अदालत में पेश किए जाने की संभावना है, जहां जांच एजेंसी उनकी हिरासत के लिए अनुरोध करेगी।

Delhi Excise Policy: ED arrests Amit Arora on charges of money laundering

 New Delhi : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में अपनी धन शोधन जांच के सिलसिले में एक अन्य कारोबारी अमित अरोड़ा को गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अरोड़ा गुरुग्राम स्थित ‘बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक हैं। मामले में ईडी द्वारा यह छठी गिरफ्तारी है।

सूत्रों के मुताबिक, अरोड़ा को मंगलवार रात धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने बताया कि अरोड़ा को स्थानीय अदालत में पेश किए जाने की संभावना है, जहां जांच एजेंसी उनकी हिरासत के लिए अनुरोध करेगी। ईडी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के बाद यह मामला दर्ज किया था।

सीबीआई ने मामले में हाल ही में दायर आरोपपत्र में दावा किया है कि अमित अरोड़ा और दो अन्य आरोपी दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और वे आरोपी लोक सेवकों के लिए शराब लाइसेंस धारियों से जुटाए गए धन के ‘अवैध वित्तीय प्रबंधन एवं हेराफेरी करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।’

ईडी ने पिछले सप्ताह इस मामले में अपना पहला आरोप पत्र (अभियोजन शिकायत) भी दायर किया था, जिसमें गिरफ्तार व्यवसायी समीर महेंद्रू, उनकी कंपनी इंडोस्पिरिट तथा कुछ अन्य कंपनियों को नामजद किया गया है।

जांच आगे बढ़ने के साथ दोनों एजेंसियों की ओर से अदालत के समक्ष इस तरह की और शिकायतें दर्ज करने की उम्मीद है। सीबीआई ने दिनेश अरोड़ा को भी मामले में सरकारी गवाह बनाया है।

दिनेश अरोड़ा ने एक मजिस्ट्रेट के सामने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया था और जांच में मदद करने के लिए एक विशेष अदालत से उन्हें माफी मिली थी। सीबीआई ने अगस्त में 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद कई जगहों पर छापेमारी की थी।

आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने की अपनी नीति के साथ कुछ डीलरों का पक्ष लिया जिन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी। इस आरोप का आप ने जोरदार खंडन किया।

यह भी आरोप लगाया गया कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ देना, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, अनुमोदन के बिना एल-1 लाइसेंस का विस्तार आदि सहित कई अनियमितताएं की गईं।