गुजरात हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका की खारिज, 'तत्काल आत्मसमर्पण' का आदेश दिया
। अदालत ने आदेश सुनाए जाने के बाद सीतलवाड़ के वकील की ओर से 30 दिन तक आदेश के अमल पर रोक के अनुरोध को भी मानने से इनकार किया।
अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी और उन्हें 2002 के गोधराकांड के बाद हुए दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सुबूत गढ़ने से जुड़े एक मामले में तत्काल आत्मसमर्पण करने को कहा। न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की अदालत ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज की और उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने को कहा क्योंकि वह पहले ही अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि आवेदनकर्ता उच्चतम न्यायालय की ओर से दी गई अंतरिम जमानत पर हैं, उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए जाते हैं। अदालत ने आदेश सुनाए जाने के बाद सीतलवाड़ के वकील की ओर से 30 दिन तक आदेश के अमल पर रोक के अनुरोध को भी मानने से इनकार किया। आदेश के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा है।
अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक मामले में सीतलवाड़ को पिछले वर्ष 25 जून को गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के साथ हिरासत में लिया गया था।
अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई 2022 को मामले में सीतलवाड़ और श्रीकुमार की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं और कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को यह संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति आरोप भी लगा सकता है और उसका दोष माफ भी किया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष दो सितंबर को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली थी। साथ ही पीठ ने सीतलवाड़ को गुजरात उच्च न्यायालय में नियमित जमानत याचिका पर निर्णय होने तक अपना पासपोर्ट निचली अदालत के पास जमा कराने का निर्देश दिया था। सीतलवाड़ तीन सितंबर को जेल से बाहर आ गई थी।
गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा के निकट साबरमती एक्सप्रेस का एक कोच जलाये जाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक मारे गये थे, जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे।