Haryana News: एचएसजीपीसी चुनाव, अकाली दल की याचिका खारिज
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के चुनाव से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल ने दायर की थी याचिका
Haryana News: हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के चुनाव से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल व अन्य कई याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल खेत्रपाल व जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन पर आधारित अवकाशकालीन पीठ ने कहा की हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सिख गुरुद्वारा एक पवित्र धार्मिक स्थान है और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (एचएसजीएमसी) के चुनावों में राजनीतिक दलों के भाग लेने पर रोक लगाने का उद्देश्य धर्म और राजनीति के संभावित खतरनाक मिश्रण को रोकना है।
कोर्ट ने कहा कोर्ट ने कहा है कि सिख धार्मिक संस्थानों के चुनाव के लिए जाति और लिंग आधारित आरक्षण की मांग सिख धर्म के उच्च आदर्शों के खिलाफ है। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के आगामी चुनावों से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
अकाली दल को अयोग्य ठहराने का आधार यह है कि वह चुनाव आयोग में प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल है, जिसके चलते चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गई। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के चुनाव 19 जनवरी को होने वाले हैं। याचिका में सवाल उठाया गया है कि क्या किसी राजनीतिक दल, जो प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत पंजीकृत है, को केवल "राजनीतिक पार्टी" के रूप में मान्यता के आधार पर धार्मिक निकाय के चुनाव में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जा सकता है।
याचिका में 18 सितंबर 2023 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके तहत चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। याचिका में कहा गया कि यह आदेश राजनीतिक दलों और अन्य सिख संगठनों के बीच भेदभाव पैदा करता है। अकाली दल का कहना है कि गुरुद्वारा आयोग, हरियाणा ने अपनी शक्तियों का अतिक्रमण किया है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2023 के नियमों के तहत आयोग का कार्य केवल, मतदाता सूची बनाना ,चुनावी प्रतीक देना था, न कि योग्यता मानदंड निर्धारित करना। अकाली दल के अलावा इस विषय पर कई अन्य याचिका भी दायर की गई है जिसमें एचएसजीपीसी चुनाव में महिला, एससी, बीसी व अन्य किसी भी तरह के आरक्षण न देने को चुनौती दी गई है।