एक्सपर्ट पैनल बताएगा पहाड़ी स्थानों की क्षमता, SC में दायर याचिका पर हुई सुनवाई

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, हिमाचल प्रदेश

इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें जोशीमठ का उदाहरण देते हुए कहा गया था कि पहाड़ी राज्य पर पर्यटकों का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.

Expert panel will tell the capacity of hilly places, hearing on petition filed in SC

नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने देश के हिमालयी राज्यों की धारण  क्षमता का आकलन करने के लिए एक  एक्सपर्ट पैनल के गठन का संकेत दिया है। धारण क्षमता वह अधिकतम जनसंख्या आकार है जिसे कोई क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना बनाए रख सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे बेहद अहम मुद्दा बताया है.

इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें जोशीमठ का उदाहरण देते हुए कहा गया था कि पहाड़ी राज्य पर पर्यटकों का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में अनियोजित विकास से लैंडस्लाइड और दूसरी आपदाएं हो रही है।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अशोक कुमार राघव की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हिमालयी क्षेत्र में लगभग रोजाना आपदाएं आती हैं.

ऐसे में क्षमता का आकलन करने की जरूरत थी. हिमाचल प्रदेश के धौलाधार सर्किट, सतलज सर्किट, ब्यास सर्किट और जनजातीय सर्किट क्षेत्र पर्यटकों के भारी बोझ से भरे हुए हैं। हिल स्टेशन, तीर्थ स्थल और अन्य पर्यटन स्थल लगभग ख़त्म होने की कगार पर हैं।

सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि इन इलाकों की धारण क्षमता का कभी मूल्यांकन नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम तीन या चार सरकारी एजेंसियों की नियुक्ति कर सकते हैं. हम उनके प्रतिनिधियों से हिमालय क्षेत्र के भीतर जाने की व्यवहार्यता पर पूर्ण और व्यापक अध्ययन करने के लिए कहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा- आप केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को बताएं कि ऐसे पैनल के गठन के लिए विशेषज्ञ संस्थाएं क्या होनी चाहिए और क्या शर्तें होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित करने के लिए केंद्र सरकार से भी सुझाव मांगा है। 28 अगस्त को याचिका पर अगली सुनवाई होगी।