हिमाचल: चंबा में महिलाओं ने ‘हेज़लनट’ के पेड़ों को बचाने के लिए शुरू किया अभियान
‘हेज़ल’ पांगी घाटी में पाए जाने वाला का बेहद पुराना वृक्ष है। सदियों से इसका पांगी क्षेत्र की फिंदरू पंचायत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रहा है।
शिमला : हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के आदिवासी इलाके में महिलाओं ने ‘हेज़लनट’ (एक प्रकार का मेवा) के पेड़ों को बचाने के लिए एक अभियान शुरू किया है। एक महिला संगठन ने बताया कि मंगलवार को 50 से अधिक महिलाओं, स्वयंसेवकों, ग्रामीणों और स्कूली बच्चों ने ‘हेज़लनट’ के पेड़ों को बचाने का संकल्प किया और करीब 500 पेड़ लगाए। इनका मकसद जागरूकता फैलाना और वन संपदा को बचाना है, जो विरासत के संरक्षण के अलावा ग्रामीणों की आय का जरिया भी है।
‘हेज़ल’ पांगी घाटी में पाए जाने वाला का बेहद पुराना वृक्ष है। सदियों से इसका पांगी क्षेत्र की फिंदरू पंचायत की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रहा है। यह एक प्राकृतिक पेड़ है जो इस क्षेत्र में अधिक संख्या में मौजूद है। स्थानीय निवासी इसके फल बेचकर वर्षों से अपना घर चला रह हैं।
गैर सरकारी संगठन ‘सीईवीए’ के संस्थापक डॉ. हरेश शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों ने महसूस किया कि क्षेत्र में अधिकतर पेड़ पुराने हैं और नए पेड़ कम बढ़ रहे हैं। इसलिए दो साल पहले ‘हेज़लनट नर्सरी’ शुरू करने का फैसला किया गया।
शर्मा ने कहा, ‘‘ लोगों को लगाने के लिए भी कुछ पौधे दिए गए लेकिन वृक्षारोपण की धीमी गति को देखते हुए, ग्रामीणों ने आज से व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाने का फैसला किया। महिलाओं, पुरुषों, स्कूल जाने वाले बच्चों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों सभी ने इस अभियान में हिस्सा लिया।’’
आहार विशेषज्ञ निहारिका ने बताया कि ‘हेज़लनट’ में पोषक तत्व और ‘एंटीऑक्सीडेंट’ भरपूर मात्रा में होते हैं। कई अध्ययनों ने पाया गया है कि ‘हेज़लनट’ कैंसर के खतरे को कम सकते हैं।