कोई भी धर्म हमें आपस में बैर भाव नहीं सिखाता; साहिबगंज के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद नौशाद आलम
इनका मानना है कि सभी धर्म का सार परोपकार में निहित है। कोई भी धर्म हमें आपस में बैर भाव नहीं सिखाता।
रांची : झारखंड पुलिस का सूत्र वाक्य है सेवा ही लक्ष्य। सेवा के विविध रूप है और इसी को चरितार्थ कर रही है साहिबगंज पुलिस। माथे पर तिलक और कलाई में रक्षा सूत्र। यह दृश्य सहज ही किसी को आकर्षित कर लेता है। अवाम की सुरक्षा का दायित्व निर्वहन करना पुलिस का कर्तव्य है और इसिलिए तो रात्रि में थाना का औचक निरीक्षण करना हो या फिर दिन में तमाम व्यस्तताओं के बावजूद बच्चे- बच्चियों के साथ पर्व त्यौहार मनाने में यह वरिष्ठ पुलिस पदाधिकारी कभी पीछे रहना नहीं चाहता।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई किसी भी जाति या धर्म के पर्व त्यौहार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना, इनके स्वभाव में शामिल है। इनका मानना है कि सर्व धर्म समभाव का संदेश राष्ट्रीय एकता और अखंडता को पुख्ता बनाता है। दरअसल हम बात कर रहे हैं साहिबगंज के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद नौशाद आलम की। अपनी कार्यशैली के लिए चर्चित इस इस पुलिस अधीक्षक को कभी आपने कीर्तन मंडली में राम धुन गाते सुना होगा तो कभी मस्जिद में नमाज अदा करते। इनका मानना है कि सभी धर्म का सार परोपकार में निहित है। कोई भी धर्म हमें आपस में बैर भाव नहीं सिखाता।
बच्चों से विशेष लगाव के कारण पुलिस अधीक्षक नौशाद आलम को एक नई ऊर्जा मिलती है। कहते हैं बालपन की सहजता और सरलता उन्हें सहज ही आकर्षित कर लेती है। सूत्र की माने तो पुलिस अधीक्षक नौशाद आलम जब शहर और विशेष कर ग्रामीण क्षेत्र का दौरा करते हैं तो अपने पास चॉकलेट का पैकेट लेना नहीं भूलते। कहते हैं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के खेत- खलिहानों में खेल रहे बच्चों को जब यह चॉकलेट उपलब्ध कराया जाता है तो उसके चेहरे पर उभरी खुशी उन्हें सुकून दे जाता है। बच्चों को पुचकारना और तूतली भाषा में बात करना उन्हें अच्छा लगता है। अब थोड़ी बात कानून व्यवस्था की कर लेते हैं। बताया जाता है कि बतौर एसपी साहिबगंज में योगदान के बाद अपराधियों ने शहर छोड़ दिया है। इसका खुलासा तब हुआ जब हाल ही में गोड्डा में दिनदहाड़े एक ज्वेलरी की दुकान में लूटपाट की घटना को अंजाम देने वाला अपराधी साहिबगंज का निकला।
बहरहाल नशाखोरी पर नियंत्रण, अपराधियों को चिन्हित कर सजा दिलाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। इनका प्रयास रहता है कि पहले तो अपराध घटे ही नहीं और यदि घटना घट ही जाती है तो अपराधी कानून से बच ना सके।