Bokaro Steel Plant: बीरेंद्र कुमार तिवारी के उत्कृष्ट, निष्ठापूर्ण सेवाएं, एवं उपलब्धियाँ को बोकारो हमेशा याद रखेगा

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, झारखंड

अटूट प्रतिबद्धता और अद्वितीय तकनीकी दक्षता के साथ इन्होंने प्लांट को एक आयाम तक पहुंचाया

Bokaro will always remember the excellent, dedicated services and achievements of Birendra Kumar Tiwari Hindi News

Bokaro Steel Plant: (निर्मल महाराज) - बोकारो स्टील परिवार पूर्व निर्देशक प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी को  विदाई देते हुए भावनाओं से अभिभूत है। इस क्षण की महत्ता को शब्दों में समेट पाना अत्यंत कठिन है। संयंत्र की भव्य संरचनाएँ, निरंतर गतिशील मशीनें, वृक्षों और पुष्पों से सुसज्जित परिसर, हरे-भरे उद्यान तथा दूर तक फैली सड़कें मानो सभी आपके अमूल्य योगदान और सशक्त उपस्थिति की साक्षी बन खड़े हैं। इस्पात नगर बोकारो के हृदय पर आपका गहरा प्रभाव अंकित है, आपके सेवानिवृत होने पर आँखें नम हैं और मन भारी है।

बोकारो इस्पात नगर के प्रथम नागरिक के रूप में आपका स्नेहिल सान्निध्य, आपकी तकनीकी प्रवीणता और आपका दूरदर्शी नेतृत्व, न केवल संयंत्र बल्कि नगर को भी एक नई पहचान प्रदान की है।महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की विभिन्न इकाइयों में लगभग छत्तीस वर्षों तक आपकी उत्कृष्ट एवं निष्ठापूर्ण सेवाएँ, आपकी उपलब्धियाँ और संगठन को मिले नये आयाम, बोकारो परिवार के लिए सदा प्रेरणा का अमूल्य स्रोत बना रहेगा ।

बीरेंद्र कुमार का परिचय
इनका जन्म 18 अगस्त 1965 को बिहार-झारखण्ड प्रक्षेत्र के ‘शिमला’ कहे जाने वाले शहर, राँची में हुआ।  इनकी प्रारंभिक शिक्षा  संत जोन्स हाई स्कूल, राँची से प्राप्त की और वर्ष 1983 में संत जेवियर्स कॉलेज, राँची से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके उपरांत, वर्ष 1988 में बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिंदरी से इन्होंने धातुकर्म अभियंत्रण में स्नातक की उपाधि अर्जित की। अपने ज्ञान और दक्षता को कर्मभूमि में रूपांतरित करते हुए, इन्होंने 15 जुलाई 1989 को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के बोकारो स्टील प्लांट में बतौर प्रबंध प्रशिक्षु (तकनीकी), कोक ओवन विभाग से अपनी सेवा यात्रा आरंभ की।

अपनी उत्कृष्ट कार्यशैली, अटूट प्रतिबद्धता और अद्वितीय तकनीकी दक्षता के बल पर ये निरंतर प्रगति करते हुए कोक ओवन विभाग में विभिन्न तकनीकी एवं प्रबंधकीय पदों पर कार्यरत रहते हुए अपनी गहन तकनीकी क्षमता और नवाचार दृष्टि का अनुपम परिचय देते रहे। 30 जून 2017 से बोकारो स्टील प्लांट के मुख्य महाप्रबंधक (कोक ओवन एवं बीपीपी) का दायित्व इन्होंने संभाला। यहाँ इनकी विशिष्ट नेतृत्व क्षमता और संगठनात्मक दृष्टिकोण ने विभाग की कार्यप्रणालियों में अनेक महत्वपूर्ण सुधारों और नवाचारों का सफल कार्यान्वयन सुनिश्चित किया। इनके नेतृत्व में कोक ओवन एवं बीपीपी में बैटरी संचालन में व्यापक सुधारों से लेकर चार्जिंग और पुशिंग तक हर चरण में स्थिरता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 

अगस्त 2020 में इन्होंने स्थानांतरण मुख्य महाप्रबंधक (सेवाएँ) के रूप में हुआ जहां इन्होंने अपनी कुशलता, प्रबंधन क्षमता और दूरदर्शी दृष्टिकोण से दायित्वों का अनुकरणीय निर्वहन किया। इन्होंने अपने कार्य के प्रति समर्पण और निष्ठा के परिणामस्वरूप, मई 2021 में  अधिशासी निदेशक पद पर पदोन्नत किया गया तथा सेल के कोलियरीज डिवीजन के प्रमुख का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया। 

कोलियरीज डिवीजन के प्रमुख के रूप में, अल्प अवधि में ही इन्होंने अनेक नवोन्मेषी एवं प्रभावशाली पहलों के माध्यम से उत्पादन वृद्धि, सुरक्षा सुदृढ़ीकरण और सतत् विकास की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया। इनके नेतृत्व में कोयला खदानों में विधिसम्मत एवं सुरक्षित खनन सुनिश्चित हुआ। साथ ही, घरेलू स्रोतों से अधिकाधिक कोयला प्राप्त कर इस्पात संयंत्रों को न्यूनतम लागत पर अधिकतम कोयला उपलब्ध कराया गया। इनके कार्यकाल में कोलियरीज डिवीजन ने कोकिंग कोल और बॉयलर कोल की आपूर्ति में क्रमशः 13 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की।जून 2022 में इनका स्थानांतरण बोकारो स्टील प्लांट में हुआ और इनको अधिशासी निदेशक (संकार्य) की जिम्मेवारी सौंपी गई। 

इस पद को सुशोभित करते हुए इन्होंने अपने अद्वितीय नेतृत्व कौशल, दूरदृष्टि और कार्यकुशलता के माध्यम से बोकारो इस्पात संयंत्र के इतिहास में अनेक नये सोपान जोड़े। बीरेंद्र कुमार तिवारी के मार्गदर्शन में संयंत्र ने न केवल उत्पादन और गुणवत्ता के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को स्पर्श किया, बल्कि संगठनात्मक उत्कृष्टता और तकनीकी नवाचार के आयाम भी स्थापित किए ।बोकारो इस्पात संयंत्र के अधिशासी निदेशक (संकार्य) के पद से ये 20 अप्रैल 2024 को निदेशक प्रभारी, बोकारो इस्पात संयंत्र के रूप में दायित्व ग्रहण कर उच्चतम नेतृत्व की भूमिका में आसीन हुए। इनके गतिशील नेतृत्व और दूरदर्शी मार्गदर्शन में बोकारो स्टील ने उत्पादन, डिस्पैच और टेक्नो–इकोनॉमिक पैरामीटरों में एक के बाद एक नये कीर्तिमान स्थापित किए। 

हॉट मेटल, क्रूड स्टील और सीआर सेलेबल स्टील उत्पादन में संयंत्र ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर इतिहास रच दिया।इनके कार्यकाल के प्रारंभ से ही  एक ऐसी विशिष्ट कार्य-संस्कृति का सूत्रपात किया, जिसने इस्पात कर्मियों, सहकर्मियों और कर्मचारियों के हृदय को गहराई से स्पर्श किया। इन्होंने संयंत्र और नगर क्षेत्र के प्रत्येक इस्पातकर्मी परिवार को आत्मीयता और अपनत्व की डोर में बाँधने का सतत प्रयास किया। इसका प्रभाव इतना सशक्त रहा कि कर्मचारियों ने अपने कार्यस्थल और दायित्व को भी अपने घर-परिवार जैसा ही आत्मीय और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ महसूस किया है।

इनके  कुशल नेतृत्व में बोकारो स्टील प्लांट ने हाल के वर्षों में उत्पादन, डिस्पैच और टेक्नो–इकोनॉमिक पैरामीटर्स में नये–नये शिखर स्थापित किया हैं। इनकी अद्वितीय कार्यकुशलता, चमत्कारी प्रबंधकीय क्षमता, मानवता से ओतप्रोत दृष्टिकोण और समन्वय की भावना का ही परिणाम है कि इनके कार्यकाल में संयंत्र ने अपनी विभिन्न इकाइयों में लगातार सर्वोत्तम प्रदर्शन किया। दक्षता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता को जिस ऊँचाई तक इन्होंने पहुँचाया है, वह बोकारो स्टील के गौरवशाली इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में सदैव अंकित रहेगा।

इनके दूरदर्शी मार्गदर्शन में बोकारो स्टील प्लांट ने अनेक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया। इनमें हॉट स्ट्रिप मिल के ऑटोमेशन सिस्टम का आधुनिकीकरण, 2000 टीपीडी नए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना, ब्लास्ट फर्नेस स्टोव इंस्टॉलेशन, री-हीटिंग फर्नेस का नवीनीकरण तथा डिजिटल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सॉल्यूशंस का कार्यान्वयन प्रमुख उपलब्धियाँ रहीं। इनके नेतृत्व में झारखण्ड समूह की खदानों और कोलियरीज डिवीजन ने भी उल्लेखनीय प्रगति करते हुए उत्पादन और आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित की। संसाधनों के इष्टतम उपयोग, लागत में बचत और दक्षता बढ़ाने के इनके सतत प्रयासों से न केवल संयंत्र, बल्कि संपूर्ण संगठन लाभान्वित हुआ।साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और ग्रीन स्टील की दिशा में इनके ठोस कदमों ने बोकारो स्टील प्लांट को सतत विकास की नई राह दिखाई। 

कार्बन उत्सर्जन में कमी, ऊर्जा दक्षता, ठोस अपशिष्ट के पूर्ण उपयोग और अक्षय ऊर्जा के विस्तार जैसे प्रयासों ने संयंत्र को हरित और जिम्मेदार इकाई के रूप में स्थापित किया। नए इस्पात ग्रेड्स के विकास और सामरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में इनका अमूल्य योगदान बोकारो स्टील प्लांट की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाता है। युद्धपोतों और रक्षा परियोजनाओं में प्रयुक्त विशेष ग्रेड इस्पात आज गर्व के साथ देश की सीमाओं की सुरक्षा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

 इनके दूरदर्शी नेतृत्व ने बोकारो स्टील प्लांट को न केवल उत्पादन और तकनीकी उत्कृष्टता का केंद्र बनाया है, बल्कि इसे एक जिम्मेदार, हरित और आत्मनिर्भर संगठन के रूप में भी स्थापित किया है।इनके अगुआई में उत्पादन, लाभार्जन, गुणवत्ता और नई उत्पाद श्रृंखलाओं का ग्राफ निरंतर बढ़ता रहा और नये शिखरों तक पहुँचा, जिसकी पृष्ठभूमि में इनकी दूरदर्शिता सदैव मौजूद रही। अपने कार्यकाल की तमाम उपलब्धियों में इन्होंने इस्पात कर्मियों को संगठन की सर्वाधिक मूल्यवान निधि मानते हुए उन्हें सृजन और उत्कर्ष की यात्रा से सतत जोड़े रखा। इन्होंने हर सफलता का श्रेय इस्पात कर्मियों को दिया।

मानव संसाधन विकास को सुदृढ़ बनाने के लिए इन्होंने कार्यशालाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और रचनात्मक संवादों की परंपरा को विशेष बल दिया। कार्यस्थल पर स्वच्छता, गृह-व्यवस्था और बेंचमार्किंग के माध्यम से निरंतर सुधार की संस्कृति विकसित हुई। उपकरणों की विश्वसनीयता, सुरक्षित कार्य-संस्कृति और प्रक्रिया-कौशल अर्जन पर इनका विशेष जोर ने संयंत्र की गुणवत्ता, उत्पादकता और टेक्नो–आर्थिक पैमानों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।नवाचार की दिशा में इनके कार्यकाल में बोकारो स्टील प्लांट ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित कीं। इन्होंने नौसेना के लिए डीएमआर–249ए ग्रेड स्टील तथा ऑटोमोबाइल, कृषि और अवसंरचना क्षेत्रों के लिए उच्च क्षमता वाले इस्पात का सफल उत्पादन सुनिश्चित किया, जिसने देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को नयी गति दी और राष्ट्र की सामरिक आवश्यकताओं को सुदृढ़ आधार दिया।सस्टेनेबिलिटी एवं ईएसजी मानकों की दिशा में इनका पहल अनुकरणीय रहा। सत प्रतिशत ठोस अपशिष्ट उपयोग, ‘वेस्ट टू वेल्थ’ परियोजनाएँ, ग्रीनको रेटिंग, ग्रीन स्टील की दिशा में ठोस कदम, 30 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर प्लांट और 20 मेगावाट सोलर पार्क जैसी उपलब्धियाँ इनका पर्यावरण–अनुकूल दृष्टिकोण की सशक्त पहचान बनीं।मानव संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में इनका दूरदर्शी नेतृत्व ने अनेक ऐतिहासिक पहलें संभव कीं। 

इन्होंने डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करते हुए सेल में पहली बार  एस ए एस सिस्टम  आधारित ह्यूमन कैपिटल मैनेजमेंट प्रणाली लागू की। खदानों और कोलियरियों तक बायोमेट्रिक अटेंडेंस का विस्तार इनके नेतृत्व में ही हुआ। एम्प्लॉई असिस्टेंस प्रोग्राम की शुरुआत, ठेका श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जांच, आरएफआईडी कार्ड द्वारा उपस्थिति दर्ज करने की सुविधा तथा दुर्घटना बीमा जैसी पहलों ने इनकी संवेदनशीलता और कर्मचारियों के प्रति आत्मीय दृष्टिकोण को सशक्त रूप से अभिव्यक्त किया।चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में बोकारो जनरल अस्पताल में सीटी स्कैनर, आधुनिक सर्जरी उपकरण, नई एम्बुलेंस, स्वचालित लैब सुविधाएँ, उन्नत आईबीयू, ओपीडी क्यू मैनेजमेंट सिस्टम और हेल्थ रिट्रीट सेंटर जैसी अत्याधुनिक सेवाओं की शुरुआत की जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुलभता दोनों को नई ऊँचाइयाँ प्रदान हुई।

सामाजिक उत्तरदायित्व को इन्होंने नई संवेदनशीलता और गहरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाया। ज्ञान ज्योति योजना के अंतर्गत बिरहोर जनजाति के बच्चों की शिक्षा, वंचित महिलाओं को जलकुंभी से हस्तशिल्प निर्माण का प्रशिक्षण, स्कूली बच्चों को पौष्टिक दूध, युवाओं के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग, टीबी मरीजों को निःशुल्क दवा वितरण तथा आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति जैसी अनेक जनोपयोगी पहलों ने इनके सामाजिक सरोकारों को जीवंत रूप प्रदान किया। 

इन्होंने न केवल समाज में सकारात्मक परिवर्तन को बल दिया, बल्कि बोकारो स्टील परिवार की सामाजिक प्रतिबद्धता को और अधिक प्रखर किया।श्री तिवारी के  नेतृत्व में टाउनशिप सुविधाओं का भी व्यापक विकास हुआ। सड़कों की मरम्मत और नए आरसीसी मार्गों का निर्माण, आवासीय ब्लॉकों का सुदृढ़ रख-रखाव, बिजली आपूर्ति व्यवस्था का आधुनिकीकरण, नए सब-स्टेशन की स्थापना, ऊर्जा बचत हेतु बीएलडीसी पंखों का प्रावधान तथा सभी स्ट्रीट लाइटों को एलईडी में परिवर्तित करना बोकारो को और अधिक आधुनिक, सुरक्षित और रहने योग्य बनाने की दिशा में मील के पत्थर सिद्ध हुए।कार्यस्थल सुरक्षा की संस्कृति को नई ऊँचाई पर पहुँचाने के लिए भी इनका पहलें उल्लेखनीय रहा। सेफ्टी सर्कल की शुरुआत, कॉन्ट्रैक्टर सेफ्टी मैनेजमेंट प्रणाली, कैपेबिलिटी एवं कॉम्पिटेंसी बिल्डिंग की स्थापना और वीआर आधारित प्रशिक्षण ने सुरक्षा को केवल नियम नहीं, बल्कि सतत विकसित होती संस्कृति का रूप प्रदान किया।

इनका सफर इस्पात की दृढ़ता और कविता की कोमलता का अद्भुत संगम रहा है। प्रशिक्षण के अवसरों पर इन्होंने विदेशों में अर्जित ज्ञान और अनुभव को संयंत्र की सेवा में लगाया। इन्होंने संगठन में पारदर्शिता, सहभागिता और सकारात्मक कार्यसंस्कृति को प्रोत्साहन दिया। इनकी दूरदृष्टि, विनम्रता और कर्मठता ने बोकारो इस्पात परिवार के प्रत्येक सदस्य को निरंतर प्रेरित किया है और यह प्रेरणा आने वाले समय में भी ऊर्जा का स्रोत बनी रहेगी।

श्री तिवारी  सेवा-यात्रा में  परिवार का अटूट सहयोग सदैव इनके लिए शक्ति-स्रोत रहा है। इनकी धर्मपत्नी,  अनीता तिवारी, एक आदर्श गृहिणी के रूप में परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन निष्ठा और दक्षता के साथ करती रही हैं। उन्होंने इनके व्यस्त जीवन में स्नेह, संतुलन और संबल का दृढ़ आधार प्रदान किया है। अपने स्नेहिल और सौम्य व्यक्तित्व से उन्होंने न केवल घर-आँगन को ऊर्जा और उमंग से भरा, बल्कि इनके सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में भी सक्रिय योगदान दिया। बोकारो महिला समिति की अध्यक्षा के रूप में उनके नेतृत्व ने समिति को नई ऊँचाइयाँ प्रदान कीं। महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सेवा कार्यों के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय पहलों ने समिति को एक विशिष्ट पहचान दी और समाज में सकारात्मक बदलाव का मार्ग प्रशस्त किया।

इनके सुपुत्र पुरोहित प्रतीक ने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, राँची से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन अभियंत्रण में स्नातक तथा एम.टी.आई., गुरुग्राम से एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की और वर्तमान में एयरटेल में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। आपकी पुत्रवधू  प्रेषिता ने मिरांडा हाउस, दिल्ली से एम.एस.सी. तथा ज़ेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एम.बी.ए. की डिग्री प्राप्त की और वर्तमान में आईडीएफसी, मुंबई में कार्यरत हैं। बोकारो स्टील परिवार ने इनको    स्वस्थ, सक्रिय एवं आनंदमय रहने की कामना किया । इनका  सौम्य, संयमित और प्रेरणादायी व्यक्तित्व सदैव बोकारो स्टील परिवार की स्मृतियों में अंकित रहेगा।

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