ED ने धनशोधन के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव को किया तलब
सरकार के मुताबिक आयोग को छह माह में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होगी।
रांची : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का को निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल से संबंधित धनशोधन मामले के सिलसिले में तलब किया है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’को बताया कि अब पंचायती राज सचिव एक्का से इस मामले से संबंधित मनरेगा योजना में कथित अनियमितताओं के बारे में पूछताछ की जा सकती है। एक निजी स्थान पर सरकारी कागजों पर कथित रूप से हस्ताक्षर करने के विवाद में फंसे एक्का को भाजपा के इस आरोप के बाद प्रधान सचिव के पद से हटा दिया गया कि उनकी बिचौलियों से मिलीभगत है।
ईडी कथित मनरेगा घोटाले के साथ धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज दूसरे मामले के अंतर्गत भी राज्य में खनन क्षेत्र में कथित अनियिमतताओं में सिंघल की भूमिका की जांच कर रही है। इस बीच, झारखंड सरकार ने एक्का के विरूद्ध आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग सोमवार को गठित किया।
इससे पहले भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र भेजकर पुलिस भवन निर्माण निगम के एक अभियंता के अलावा सत्ता के एक कथित दलाल की संलिप्तता की जांच तथा एक्का एवं विभागीय अभियंताओं के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की थी।. उन्होंने एक्का और अभियंता के पत्रों की कथित प्रतियां भी दीं और दावा किया कि वे ‘गहरी साठगांठ’ को दर्शाती हैं। उन्होंने संलिप्त अधिकरियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की।
पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने यह आरोप भी लगाया कि पुलिस भवन निर्माण निगम के एक अभियंता को उसकी सेवानिवृति के बाद अनुबंध पर फिर से नियुक्त किया गया और इस संबंध में कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया था। कार्मिक, प्रशासन एवं राजभाषा विभाग की ओर से सोमवार देर शाम जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार इसे जन महत्व का मुद्दा मानती है जिसकी सघन, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच की जरूरत है।
अधिसूचना में कहा गया है , ‘‘ झारखंड सरकार झारखंड, हिमाचल एवं उत्तराखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश विनोद गुप्ता को इस मामले में मुद्दों एवं आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करती है। ’’ सरकार के मुताबिक आयोग को छह माह में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होगी। ईडी ने धनशोधन के दो मामलों की अपनी जांच के दौरान कथित अवैध खनन से संबंधित 36 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जब्त की थी।