Ranchi News: शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा- विजय शंकर नायक, राजू महतो

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, झारखंड

नायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें आदिवासी- मूलवासी समाज का सबसे बड़ा गद्दार करार दिया।

The sacrifice of the martyrs will not go in vain Vijay Shankar Nayak, Raju Mahato news in hindi

Ranchi News In Hindi: डोमिसाइल आंदोलन के अमर शहीदों—कैलाश कुजूर, विनय तिग्गा, और संतोष कुंकल की 23वीं पुण्यतिथि के अवसर पर माल्यार्पण समारोह और संकल्प सभा के आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम त्रिमूर्ति चौक, मेकॉन कॉलोनी, डोरंडा, रांची में आयोजित किया गया, जिसमें शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए और आदिवासी-मूलवासी समाज के अधिकारों व डोमिसाइल नीति को लागू करने के लिए अटल संकल्प लिया गया।

इस अवसर पर झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष  विजय शंकर नायक, आदिवासी मूलवाासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय अध्यक्ष राजू महतो ने "24 जुलाई 2002 को डोमिसाइल स्थानीयता के आंदोलन में झारखंडी समाज के हक, अधिकार, और झारखंड के मूलनिवासी समाज के हिस्सेदारी के लिए संघर्ष करते हुए कैलाश कुजूर, विनय तिग्गा, और संतोष कुंकल ने अपने प्राणों की आहुति दी।

इन शहीदों का बलिदान झारखंड के आदिवासी-मूलवासी समाज के लिए एक अमर प्रेरणा है। हम उनके सपनों को साकार करने और स्थानीय नीति को लागू करने के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे।"

नायक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तीखा हमला बोलते हुए उन्हें आदिवासी- मूलवासी समाज का सबसे बड़ा गद्दार करार दिया। उन्होंने कहा, कि हेमंत सोरेन ने डोमिसाइल आंदोलन को अपने निजी स्वार्थों और सत्ता की लालसा के लिए हथियार बनाया।   हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी डोमिसाइल नीति को लागू करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। दोनों ने शहीदों के पवित्र बलिदान का अपमान किया और आदिवासी-मूलवासी समाज के साथ घोर विश्वासघात किया।" 

 सोरेन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, कि हेमंत सोरेन ने 1932 के खतियान आधारित डोमिसाइल नीति को लागू करने का वादा किया, लेकिन उनके शासनकाल में यह मुद्दा केवल सियासी नाटक बनकर रह गया। 2022 में विधानसभा में पास किया गया डोमिसाइल बिल राज्यपाल द्वारा वापस किए जाने के बाद भी सोरेन सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यह स्पष्ट है कि दोनों नेताओं ने शहीदों के खून को अपनी सियासी चमक के लिए इस्तेमाल किया, जो न केवल शर्मनाक, बल्कि अक्षम्य अपराध है।

 महतो ने कहा  कि हम हेमंत सोरेन को सीधे चुनौती देते है कि "हेमंत सोरेन बताएं कि स्थानीय एवं नियोजन नीति के लिए उनकी सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए ? उनके कार्यकाल में आदिवासी-मूलवासी समाज के हक और अधिकारों को लगातार कुचला गया। 1932 के खतियान आधारित नीति को लागू करने का उनका वादा केवल चुनावी जुमला साबित हुआ। उनकी चुप्पी और निष्क्रियता ने साबित कर दिया कि वे केवल सत्ता के भूखे हैं, न कि समाज के सच्चे हितैषी।" इन्होंने वीर शहीदों के परिवार वालो  को  एक  करोड़  रुपये एवं मेकॉन मे  इन शहीदों के नाम पर  पार्क  बनाने  तथा  आश्रित  परिवार  को सरकार के  द्वारा  सम्मान  देने, शहीदों को शहीद का दर्जा देने की मांग किया

सर्जन हँसदा ने  कहा  कि"यह आयोजन शहीदों के बलिदान को याद करने और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लेने का अवसर है। हम  सोरेन जैसे नेताओं के धोखे को बेनकाब करेंगे और स्थानीय एवं नियोजन नीति तथा आदिवासी-मूलवासी समाज के अधिकारों के लिए एकजुट होकर निर्णायक संघर्ष करेंगे।" 

झारखंडी सूचना अधिकार मंच और आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच इस मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। "शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। हम झारखंड के मूलवासियों के हक और सम्मान की रक्षा के लिए हर कीमत पर लड़ेंगे,"  नायक ने दृढ़ता से कहा। 

माल्यार्पण करने वालो में अजित उरांव, रंजीत उरांव, कर्मा लिंडा, इकबाल  हसन, गोपाल महतो, राजेश वर्मा, विनीता खलखो, एरिन कच्छप,परवीन  सहाय ,बिल्कुल  डांग, दीपक पासवान, अशोक राम,मंटू राम, अजय नाग, सहित सैकड़ों  कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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