हाईकोर्ट में NSA डिटेंशन पर गर्म बहस, वकील बोले– विवेकाधिकार अगर कारणहीन हुआ तो वही नई तानाशाही
अदालत ने रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई निर्धारित की।
Chandigarh News: राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत की गई हिरासत को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई के दौरान तीखी बहस हुई। अमृतपाल की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि अधिकारियों को दिया गया विवेकाधिकार पूर्ण नहीं हो सकता, क्योंकि यदि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता केवल आशंकाओं, सोशल मीडिया पोस्ट या बिना प्रमाणित सामग्री पर छीनी जाए, तो यह न्याय का नहीं बल्कि “नई तानाशाही का तरीका” बन जाता है। वकील ने अदालत में कहा कि सरकार बताए कि आखिर हिरासत का आधार क्या है और किस सामग्री पर भरोसा करते हुए डिटेंशन ऑर्डर पारित किया गया।
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को तीन बार डिटेंशन में लिया गया और हर बार पुराने आरोप दोहराए गए। यहां तक कि जेल में रहने के दौरान उस पर हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप भी जोड़ दिया गया। वकील ने अदालत से कहा कि, “क्या मेरी बात इतनी खतरनाक है कि देश आग में झोंक देगी? सरकार बताए कि किस कानून और किस सामग्री के आधार पर मेरी स्वतंत्रता छीनी गई।”
अदालत को यह भी बतलाया गया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में चुनौती देने की liberty दे चुकी है, लेकिन राज्य बार-बार समय लेकर प्रक्रिया को लंबा खींच रहा है। वकील ने कहा कि सरकार के पास यदि कोई ठोस आधार है, तो वह कोर्ट के सामने रखे। जब तक निर्णय की बुनियाद सामने नहीं आती, डिटेंशन को वैध नहीं कहा जा सकता।
राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं और कानून का पालन किया गया है, लेकिन रिकॉर्ड भारी-भरकम होने के कारण उसे अदालत में पेश करने के लिए समय दिया जाए। सरकार ने कहा कि डिटेंशन प्रक्रिया नियमों के मुताबिक पूरी की गई है।
अदालत ने रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई निर्धारित की। मामले की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि डिटेंशन आदेश न्यायिक कसौटी पर खरा उतरता है या नहीं।
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