Sham Sundar Arora News: हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को किया रद्द

Rozanaspokesman

राष्ट्रीय, पंजाब

हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा के खिलाफ दर्ज एफआईआर को किया रद्द, सतर्कता ब्यूरो पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप

High Court canceled the FIR registered against Sham Sundar Arora news in hindi

Sham Sundar Arora News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट  ने माना है कि राज्य सतर्कता ब्यूरो पंजाब ने मोहाली जिले में औद्योगिक भूखंड हस्तांतरण घोटाले के संबंध में पंजाब के पूर्व मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा और पंजाब लघु उद्योग एवं निर्यात निगम (पीएसआईईसी) के अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते समय अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

अदालत ने माना है कि विभाजन/विखंडन की अनुमति सक्षम प्राधिकारी द्वारा वैध तरीके से दी गई थी और सतर्कता ब्यूरो द्वारा लगाए गए 500-700 करोड़ रुपये के नुकसान के आरोप पूरी तरह से काल्पनिक हैं, जिनका कोई आधार नहीं है।सतर्कता ब्यूरो को फटकार लगाते हुए  हाई कोर्ट  ने कहा कि ब्यूरो ने याचिकाकर्ताओं को चुनिंदा रूप से निशाना बनाया और उन्हें परेशान किया, क्योंकि पंजाब राज्य में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां बड़े भूखंडों को छोटे भूखंडों में विभाजित/विखंडित किया गया और ब्यूरो द्वारा कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की गई।

जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शाम सुंदर अरोड़ा तथा अन्य अधिकारियों द्वारा दायर कई याचिकाओं को स्वीकार करते हुए ये आदेश पारित किए हैं, जिन पर सतर्कता ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था। खंडपीठ ने ब्यूरो द्वारा जनवरी 2023 में अरोड़ा तथा अन्य के खिलाफ विश्वासघात, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी तथा जालसाजी के आरोपों में दर्ज की गई एफआईआर को खारिज कर दिया है। 

हाई कोर्ट  के अनुसार, इस मामले में एफआईआर केवल याचिकाकर्ताओं को परेशान करने तथा अपमानित करने के लिए दर्ज की गई थी।अरोड़ा को क्लीन चिट देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अरोड़ा ने गुलमोहर टाउनशिप सहित किसी व्यक्ति विशेष को कोई लाभ नहीं पहुंचाया, बल्कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद पर नियमित रूप से पीएसआईईसी के एमडी से जानकारी मांगी थी तथा मंत्री द्वारा रिपोर्ट मांगना मात्र आपराधिक कृत्य नहीं है।

राज्य सतर्कता ब्यूरो  द्वारा गिरफ्तार किए गए अधिकारियों को क्लीन चिट देते हुए कोर्ट ने कहा कि विभागीय समिति के सदस्यों ने विभाजन/विखंडन की मंजूरी के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय कानून के अनुसार पूरी तत्परता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया था।हाई कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कथित शिकायत गुप्त उद्देश्य से की गई है और याचिकाकर्ताओं को पंजाब राज्य मुख्य सतर्कता आयुक्त के कार्यालय का दुरुपयोग करते हुए कुछ असंतुष्ट तत्वों द्वारा बलि का बकरा बनाया गया है।एफआईआर को रद्द करते हुए कोर्ट  ने कहा कि यह मामला केवल याचिकाकर्ताओं को बदनाम और परेशान करने के उद्देश्य से उठाया गया था।