नोएडा : फिल्म सिटी के लिए अधिगृहित जमीन के फर्जी दस्तावेज दिखाकर 42 लाख की ठगी..
आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2019 में हरेंद्र को जमीन बेचने का करार किया था। लेकिन जिस दिन बैनामा होना था दोनों भाई बैनामा करने के लिए नहीं पहुंचे।
नोएडा (उप्र) : गौतम बुद्ध नगर जिले के जेवर क्षेत्र में निर्माणाधीन फिल्म सिटी के लिए अधिगृहित जमीन के फर्जी दस्तावेज के माध्यम से करीब 42 लाख रुपये का मुआवजा लेने का मामला प्रकाश में आया है। इस बाबत यमुना विकास प्राधिकरण के लेखपाल की शिकायत पर रबूपुरा थाना में उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सिपाही सहित तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस आयुक्त लक्ष्मी सिंह के प्रवक्ता ने बताया कि यमुना विकास प्राधिकरण में तैनात लेखपाल तनवीर अहमद ने रबूपुरा थाना में मामला दर्ज करवाया है कि काशीराम, देशराज और उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही सुनील ने धोखाधड़ी कर और साक्ष्य छुपाकर फिल्म सिटी के लिए अधिकृत की गई जमीन से 42 लाख रुपया का मुआवजा अवैध रूप से उठा लिया। उन्होंने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जमीन के मालिक काशीराम और देशराज दोनों भाई हैं। आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2019 में हरेंद्र को जमीन बेचने का करार किया था। लेकिन जिस दिन बैनामा होना था दोनों भाई बैनामा करने के लिए नहीं पहुंचे। हरेंद्र ने रजिस्ट्री कार्यालय में उपस्थित दर्ज कराई और शिकायत की कि पैसे लेने के बावजूद जमीन के मालिक बैनामा करने नहीं आए। इसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ हरेंद्र ने अदालत की शरण ली। यह प्रकरण सूरजपुर स्थित सीनियर डिवीजन में विचाराधीन है।
इस बीच किसानों ने खेड़ा मोहम्मदाबाद निवासी उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही सुनील को जमीन बेच दी। इसकी जानकारी होने पर हरेंद्र ने रजिस्ट्री के निरस्तीकरण और दाखिल खारिज करने पर आपत्ति लगा दी। कुछ दिन बाद अधिकारियों के साथ मिलकर और साक्ष्यों को छिपाकर दाखिल खारिज करा लिया गया, 30 अक्टूबर 2020 को दाखिल खारिज को राजस्व अधिकारियों द्वारा निरस्त कर दिया गया। इसके बावजूद सुनील ने पुराने दस्तावेज लगाकर 42 लाख रुपये मुआवजा ले लिया। उन्होंने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
वहीं, इस बाबत यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुण वीर सिंह ने बताया कि जमीन के गलत दस्तावेज के माध्यम से मुआवजा लेने वाले तीन किसानों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इन लोगों ने अदालत में विचाराधीन मामले की जानकारी छिपा कर प्रतिकर लिया, जबकि पीड़ित हरेंद्र का कहना है कि जानकारी होने के बावजूद आरोपियों को मुआवजा मिला।