Tattoo Man Abhishek Gautam : देशभक्ति! युवक ने अपने शरीर पर 631 कारगिल शहीदों के नाम लिखवाए
यूपी के हापुड के रहने वाले अभिषेक गौतम ने अपने शरीर पर देश के लिए शहीद हुए कई जवानों के नाम गुदवाए हैं।
Tattoo Man Abhishek Gautam news In Hindi : टैटू बनवाने का शौक कई लोगों को होता है। लेकिन कोई अपनी गर्लफ्रेंड का टैटू बनवाता है, कोई माता-पिता का तो कोई भगवान का, लेकिन देश के लिए शहीद हुए जवानों का टैटू बनवाते हुए आपने शायद ही कभी किसी को देखा हो। आज हम आपको हापुड़ के एक ऐसे ही शख्स अभिषेक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बलिदान को सलाम करने के लिए कुछ अलग करने का फैसला किया।
यूपी के हापुड के रहने वाले अभिषेक गौतम ने अपने शरीर पर देश के लिए शहीद हुए कई जवानों के नाम गुदवाए हैं। अभिषेक के शरीर पर 631 कारगिल शहीद सैनिकों के साथ-साथ महापुरुषों और क्रांतिकारियों के चित्र उकेरे हुए हैं।
अभिषेक ने अपने शरीर पर आतंकी हमलों और देश की आजादी के शहीदों के नाम भी गुदवाए हैं। इसके लिए अभिषेक को "इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स" द्वारा सम्मानित किया गया है और अभिषेक को "लिविंग वॉल मेमोरियल" की उपाधि दी गई है।
उत्तर प्रदेश के हापुड के अभिषेक गौतम को स्थानीय लोग 'टैटू मैन' के नाम से जानते हैं। शहीदों के परिजनों से मिलकर उन्हें हौसला मिलता है। अपने शरीर पर महान हस्तियों के टैटू बनवाना उनका जुनून है।
अभिषेक ने कहा कि वह करीब 550 शहीदों के परिवारों से मिल चुके हैं और अब वे 'मेरे परिवार का हिस्सा' हैं। अभिषेक की अतुल्य देशभक्ति को देखने के लिए आसपास के लोगों के अलावा दूर-दूर से भी लोग आते हैं।
अभिषेक ने कहा, 'मेरे शरीर पर कारगिल में शहीद हुए जवानों के नाम लिखे हैं। सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह जैसे महापुरुष मेरे आदर्श रहे हैं और मैं उन्हीं के रास्ते पर चलता हूं। देश के इन महापुरुषों की तस्वीरें मैंने अपने शरीर पर भी गुदवाई हैं।
अभिषेक ने बताया कि उन्होंने 15 अगस्त के लिए खास तैयारी की है। वह अपने दोस्तों के साथ तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं। अभिषेक का नाम इंडिया बुक में दर्ज है। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की वेटिंग लिस्ट में है।
अभिषेक ने कहा, 'इस भीड़ भरी दुनिया में जब आप शहीदों के परिवारों से मिलते हैं तो सोचते हैं कि आप उन लोगों के लिए क्या कर सकते हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया। वे वीर सैनिक जिन्होंने अपने देश के लिए अपने परिवार को पीछे छोड़ दिया। क्या हम उनसे मिलने के लिए कुछ समय नहीं निकाल सकते? शहीदों के परिवारों का जो प्यार है उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है।