अयोध्या में PM मोदी का जोरदार संदेश, कहा 'भारत के कण-कण में राम, मैकाले वाली मानसिकता से मुक्ति जरूरी...'

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राष्ट्रीय, उत्तरप्रदेश

अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्म ध्वज फहराया।

PM Modi hoists saffron flag in Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir Dhwajarohan 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्या श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहराया. पीएम मोदी ने शुभ मुहूर्त में 22 फीट लंबे, 11 फीट चौड़े और लगभग 2 किलो वजनी धर्म ध्वजारोहण किया। कार्यक्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सहित देशभर से आए करीब 7000 मेहमान इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने। ध्वजारोहण से पूर्व पीएम मोदी ने सप्तमंदिर में सप्त ऋषियों के दर्शन और भगवान राम की आरती की। (PM Modi hoists saffron flag in Ayodhya Ram Mandir news in hindi) 

अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजारोहण के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, 'आज सदियों के घाव भर रहे हैं। सदियों की वेदना विराम पा रही है और संकल्प सिद्धि को प्राप्त हो रहा है। राम मंदिर के शिखर पर फहरा रहा ये ध्वज भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का 'ध्वज' है। ये ध्वज सदियों से चले आ रहे सपनों का साकार स्वरूप है।'

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, 'राम मंदिर के शिखर पर फहरा रहा यह ध्वज केवल एक ध्वज नहीं है। यह पूरी तरह से भारतीय सभ्यता के कायाकल्प का ध्वज है। भगवा रंग, सूर्यवंश का निशान, ओम शब्द और कोविदारा वृक्ष राम राज्य की महिमा दिखा रहे हैं। ऐसा राम राज्य जहां सत्य ही धर्म है, कोई भेदभाव या दर्द न हो, शांति और खुशी हो, कोई गरीबी न हो और कोई लाचार न हो। यह ध्वज एक संकल्प है, एक सफलता है, निर्माण के संघर्ष की एक पूरी कहानी है, सैकड़ों सालों के संघर्ष का एक साकार रूप है। हमारी आने वाली हजारों सदियों तक यह ध्वज भगवान राम के मूल्यों का प्रचार-प्रसार करेगा।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज पूरा भारत, पूरा विश्व राम-मय है। हर राम भक्त के दिल में अद्वितीय संतोष है। असीम कृतज्ञता है। अपार अलौकिक आनंद है। आज उस यज्ञ की पूर्णाहुति है, जिसकी अग्नि 500 ​​साल तक प्रज्वलित रही। आज भगवान राम की ऊर्जा भव्य राम मंदिर के शिखर पर इस धर्म ध्वजा के रूप में स्थापित है।'

अपने भीतर राम को जगाने का संकल्प लें- पीए मोदी

पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है तो हमें अपने अंदर राम को जगाना होगा। अपने भीतर के राम की प्राण प्रतिष्ठा करनी होगी। इस संकल्प के लिए आज से बड़ा सुअवसर कोई नहीं हो सकता। इसलिए, हम संकल्प लें कि अपने भीतर राम जगाएंगे।

भगवान राम के मूल्यों को प्रसारित करेगा ध्वज- पीएम मोदी

अयोध्या के राम मंदिर से पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, 'हमारे शास्त्रों में लिखा है कि जो लोग किसी वजह से मंदिर नहीं आ पाते और दूर से ही मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी वही पुण्य मिलता है, जो मंदिर में दर्शन से प्राप्त होता है। यह ध्वज दूर से ही रामलला के जन्मस्थान के दर्शन कराएगा और आने वाली कई सदियों तक भगवान श्री राम के मूल्यों और आदर्शों को प्रसारित करेगा।'

पीएम मोदी ने अयोध्या राम मंदिर में अपने भाषण में कहा, 'ध्वजारोहण के इस सुअवसर पर मैं दुनिया भर के राम भक्तों को हृदय से बधाई देता हूं। राम मंदिर के निर्माण में योगदान देने वाले हर एक व्यक्ति का मैं आभार व्यक्त करता हूं। मैं राम मंदिर के निर्माण में शामिल हर मजदूर, कारीगर, प्लानर, आर्किटेक्ट और कार्यकर्ता को बधाई देता हूं।'

राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह ध्वज धर्म और मर्यादा दोनों का प्रतीक है। देश ने अयोध्या में विकास देखा और आज उसके उत्सव का दिन है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कहा था, 'राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे', आज अयोध्या में धर्म ध्वज लहरा रहा है। देश की जनता आज इस ऐतिहासिक पल की गवाह बन रही है।

ध्वजारोहण कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'राम मंदिर के जिन लोगों ने बलिदान दिया, आज उनकी आत्मा को शांति मिली होगी। वहां अशोक सिंघल जी को शांति मिलेगी। ध्वज एक प्रतीक होता है। मंदिर के रूप में हमने कुछ तत्वों को ऊपर पहुंचाया है। सारा विश्व इससे ठीक चलेगा।'

'राम मंदिर पर ध्वजारोहण का महत्व'

हिंदू धर्म में मंदिर पर ध्वजा फहराने की परंपरा अत्यंत प्राचीन और महत्वपूर्ण मानी जाती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मंदिरों पर फहराया गया ध्वज देवता की उपस्थिति का प्रतीक होता है और जिस दिशा में यह लहराता है, वह क्षेत्र पवित्र माना जाता है। शास्त्रों में मंदिर के शिखर पर लगे ध्वज को देवता की महिमा, शक्ति और संरक्षण का प्रतीक बताया गया है। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में भी ध्वज, पताका और तोरणों का उल्लेख मिलता है। त्रेतायुग का यह उत्सव राघव के जन्म से जुड़ा था, जबकि कलियुग में यह समारोह उनके मंदिर निर्माण के पूर्ण होने की घोषणा करता है। जब रघुकुल तिलक के मंदिर शिखर पर ध्वजा लहराएगी, तो यह संसार को संदेश देगी कि अयोध्या में रामराज्य की पुनर्स्थापना हो चुकी है।

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