Adani Group में LIC के ₹48,000 करोड़ निवेश पर सरकार का स्पष्टीकरण, वित्त मंत्री ने किया बड़ा खुलासा

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि सारे फैसले LIC की अपनी नीतियों और नियमों के तहत हुए हैं।

Government's clarification on LIC's ₹48,000 crore investment in Adani

LIC-Adani Group News: पिछले कई महीनों से सोशल मीडिया पर यह चर्चा चल रही थी कि एलआईसी (LIC)ने अडानी ग्रुप में जो बड़ा निवेश किया है, क्या वह किसी सरकारी निर्देश के तहत किया गया था। (Government's clarification on LIC's ₹48,000 crore investment in Adani news in hindi) लोकसभा में इसी मुद्दे पर पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि वित्त मंत्रालय एलआईसी के निवेश निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करता। उन्होंने कहा कि एलआईसी अपने निवेश फैसले खुद तय करती है, जो उसकी आंतरिक नीतियों, नियमों और एसओपी के अनुसार होते हैं।

वित्त मंत्री ने बताया कि एलआईसी ने अडानी ग्रुप की लगभग आधा दर्जन कंपनियों में निवेश किया है, जिसकी कुल मूल्य लगभग ₹38,658 करोड़ है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मई 2025 में एलआईसी ने अडानी पोर्ट्स SEZ के एनसीडी में करीब ₹5,000 करोड़ का निवेश किया था, और यह पूरा निवेश बोर्ड द्वारा अनुमोदित नियमों और एसओपी के तहत किया गया था।

एक्स पर एक यूज़र ने इस मामले को स्पष्ट करते हुए बताया कि हाल ही में “एलआईसी ने अडानी में ₹48,000 करोड़ लगा दिए” जैसी चर्चाओं ने लोगों में गलतफहमी पैदा की, जबकि वास्तविकता कुछ और है। एलआईसी का यह निवेश एक साथ नहीं, बल्कि कई वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ा है, ठीक वैसे ही जैसे वह अन्य बड़ी भारतीय कंपनियों में निवेश करती है। एलआईसी का पोर्टफोलियो पहले से ही भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में व्यापक रूप से फैला हुआ है, इसलिए अडानी ग्रुप में उसकी हिस्सेदारी को किसी विशेष प्राथमिकता के रूप में नहीं देखा जा सकता।

एलआईसी का कुल इक्विटी और डेट एक्सपोज़र लगभग ₹14 लाख करोड़ से अधिक है, जिसमें अडानी ग्रुप की हिस्सेदारी करीब 4% मानी जाती है। यानी पोर्टफोलियो के स्तर पर देखें तो यह एक्सपोज़र न तो बहुत बड़ा है और न ही किसी उच्च जोखिम वाली स्थिति जैसा माना जा सकता है।

एलआईसी ने अडानी ग्रुप में सिर्फ इक्विटी ही नहीं, बल्कि सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर डेट में भी निवेश किया है। उदाहरण के तौर पर, अडानी पोर्ट्स के एनसीडी कैश-फ़्लो समर्थित और अच्छी रेटिंग वाले माने जाते हैं, जिनमें जोखिम इक्विटी निवेश की तुलना में काफी कम होता है।

वित्त मंत्री ने पुनः स्पष्ट किया कि एलआईसी के निवेश संबंधी सभी फैसले आईआरडीएआई, सेबी, आरबीआई और इंश्योरेंस एक्ट 1938 के नियमों के अनुसार लिए जाते हैं। प्रत्येक निर्णय आंतरिक और बाहरी ऑडिट की प्रक्रिया से गुजरता है।

गौर करने वाली बात यह है कि हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वित्त मंत्रालय ने एलआईसी को अडानी ग्रुप में निवेश बढ़ाने का संकेत दिया था। लेकिन संसद में सरकार ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि न तो सरकार ने एलआईसी को कोई निर्देश दिया और न ही उस पर किसी तरह का दबाव बनाया।

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