रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत की ऑयल सप्लाई पर संकट! पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल का खतरा
क्या नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद क्या पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ सकती हैं?
Russian Oil under Pressure: भारत की सस्ती तेल आपूर्ति पर बड़ा संकट मंडराने लगा है। अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों, Rosneft और Lukoil, पर नए कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए हैं, जिससे भारत की रूसी तेल आपूर्ति गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। पिछले दो सालों में रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर रहा है, जिसने पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब सवाल यह उठता है कि नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद क्या पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें बढ़ सकती हैं। (US sanctions on Russian oil threaten India's oil supply news in hindi)
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की रूस से क्रूड ऑयल खरीद अगले कुछ हफ्तों में तेजी से घट सकती है। हालांकि आयात पूरी तरह बंद नहीं होगा, लेकिन नए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण सप्लाई में चौंकाने वाली गिरावट देखने को मिल सकती है। नवंबर में भारत रूस से रोजाना 1.8–1.9 मिलियन बैरल तेल खरीद रहा था, लेकिन दिसंबर–जनवरी में यह घटकर केवल 4 लाख बैरल प्रति दिन रह सकता है, यानी लगभग 70% से अधिक की कमी।
अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होते ही भारत की प्रमुख रिफाइनिंग कंपनियों—रिलायंस इंडस्ट्रीज, HPCL-मित्तल एनर्जी और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स—ने फिलहाल रूसी तेल की खरीद बंद कर दी है। केवल रोसनेफ्ट समर्थित नयारा एनर्जी ही रूस से आयात जारी रखेगी, क्योंकि यह पहले से ही उस तेल पर निर्भर है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिबंध सिर्फ कुछ कंपनियों पर हैं, रूस के पूरे तेल उद्योग पर नहीं। इसलिए सर्गुटनेफ्टेगाज, गजप्रोम नेफ्ट और छोटे ट्रेडर्स अब भारत को तेल सप्लाई कर सकते हैं। यानी रूसी तेल खत्म नहीं होगा, बस यह ज्यादा घुमावदार रास्तों से आएगा।
क्या पेट्रोल और डीजल महंगे होंगे?
यदि रूस से सप्लाई तेजी से घटती है तो भारत को ममिडिल ईस्ट, अमेरिका, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका से महंगा तेल खरीदना पड़ेगा। ऐसे में रिफाइनरियों की लागत बढ़ेगी, जिससे संभावना है कि ईंधन की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा, रिफाइनिंग मार्जिन घटेंगे और भविष्य में कीमतें बढ़ सकती हैं।
क्या रूस का तेल पूरी तरह बंद हो जाएगा?
सरकार का फोकस सस्ते और स्थिर ईंधन की आपूर्ति बनाए रखने पर है। अमेरिका ने अब तक सेकेंडरी सैंक्शन भारत जैसे खरीदार देशों पर नहीं लगाए हैं, इसलिए रूस से तेल की आपूर्ति जारी रहेगी, हालांकि यह कम, अनिश्चित और कहीं अधिक गोपनीय रास्तों से होगी।
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