पंजाब की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही सानवी सूद कर रही है नई ऊंचाइयों को फतह
सानवी की पहाड़ों पर चढ़ने की चाहत इस साल भी जारी रही।.
चंडीगढ़: जिस उम्र में अधिकांश बच्चे आलस के साथ इधर-उधर अपना समय बिताते हैं, उसमें आठ साल की सानवी सूद को ट्रैकिंग और पर्वतारोहण पसंद है। पंजाब के रूपनगर जिले की सानवी माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर पर भारत का झंडा लहरा चुकी है।
सानवी के पिता दीपक सूद ने बताया कि उसने यह उपलब्धि सात वर्ष की आयु में ही हासिल कर ली थी और वह ऐसा करने वाली देश की सबसे कम उम्र की लड़की है। सूद ने बताया कि सानवी ने पिछले वर्ष जुलाई में 5,895 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की थी। उस समय वह माउंट किलिमंजारो पर चढ़ने वाली एशिया की सबसे कम उम्र की लड़की थी।
सानवी की पहाड़ों पर चढ़ने की चाहत इस साल भी जारी रही।. सानवी ने मई में ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोसियुस्को (2,228 मीटर) पर चढ़ाई की थी और जुलाई में उसने रूस में माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर) पर चढ़ाई की थी, इस उपलब्धि को हासिल करने वाली वह दुनिया की सबसे कम उम्र की लड़की है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सानवी को स्वतंत्रता दिवस पर राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया था। युवा पर्वतारोही ने बताया कि ट्रैकिंग अभियान और पहाड़ों पर चढ़ने के लिए उसके पिता ने उसे प्रेरित किया है। उसे याद है कि वह कैसे पहाड़ी इलाकों में पिता के कार्यस्थलों का दौरा करती थी जिससे उसके भीतर ट्रैकिंग की आदत विकसित हुई। सानवी के पिता एक निर्माण ठेकेदार हैं जिनका कार्य अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए मिट्टी परीक्षण से संबंधित है।
पर्वतारोही के पिता ने कहा,“हम हर वर्ष केदारनाथ और माता वैष्णो देवी मंदिर जाते थे। तभी मुझे पता चला कि मेरी बेटी के अंदर अच्छी ताकत है।" दीपक ने कहा, ''मेरा अधिकतर कार्य पहाड़ी इलाकों में है और सानवी मेरे साथ कार्यस्थलों पर जाती थी। एक बार उसने रोहतांग में मेरे साथ 18 किलोमीटर की चढ़ाई की जिसके बाद मुझे पता चला कि वह इस क्षेत्र में बहुत अच्छा कर सकती है।''
उन्होंने बताया कि सानवी, ट्रैकिंग और पर्वतारोहण की तैयारी के लिए योग और साइकिल भी चलाती है। पर्वतारोहण की हर यात्रा में उसका साथ देने वाले दीपक ने कहा,''हम बेहतर ताकत के लिए कार्डियो और अन्य व्यायाम करते हैं।''
सानवी पर्वतारोहण के चुनौतीपूर्ण कार्य की तैयारी के लिए समर्पित होने के साथ पढ़ाई पर भी ध्यान केंद्रित किए हुए है। सानवी की मां पढ़ाई में उसकी मदद करती है। दीपक अपनी बेटी के समय के प्रभावी प्रबंधन और सुनियोजित दिनचर्या को लेकर बताते हैं कि उसके शिक्षक भी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रशंसा करते हैं। उन्होंने कहा," माउंट एल्ब्रस पर जुलाई में चढ़ाई करने के बाद वह लगभग रात्रि में तीन बजे घर लौटी थी। लेकिन इसके बावजूद वह सुबह 8 बजे अपने स्कूल जाने के लिए तैयार थी।'' मोहाली के एक स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाली सानवी सभी को यह बताना चाहती है कि अगर लड़कियां शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हों तो वे कुछ भी कर सकती हैं।