अर्शदीप सिंह का क्रिकेटर बनने तक का सफर, अब दुनिया कर रही तारीफ

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अर्शदीप खरड़ से चंडीगढ़ के क्रिकेट अकादमी तक जाने के लिए रोजाना साइकिल पर सफर करता था

Arshdeep Singh's journey to becoming a cricketer, now the world is doing tarif

Arshdeep Singh: अर्शदीप सिंह का जन्म 5 फरवरी, 1999 को गुना, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था।  अर्शदीप सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुरु नानक पब्लिक स्कूल, चंडीगढ़ से पूरी की है।

उनके पिता का नाम दर्शन सिंह है डीसीएम में मुख्य सुरक्षा अधिकारी पद पर है। उनकी माता का नाम बलजीत कौर है जो की एक ग्रहणी है। उनका भाई भी है जो कनाडा में काम करता है। अर्शदीप ने 13 साल की उम्र में अपने स्कूल के लिए क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने राज्य स्तरीय टूर्नामेंटों में चंडीगढ़ और पंजाब क्रिकेट टीमों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके पिता दर्शन सिंह उनके करियर के शुरुआती दौर में सक्रिय रूप से शामिल थे।

मां दलजीत कौर ने बताया कि अर्शदीप खरड़ से चंडीगढ़ स्थित क्रिकेट अकादमी तक जाने के लिए रोजाना साइकिल पर सफर करता था। उसने जितना पसीना बहाया है, मैं गवाह हूं इस बात की। अर्शदीप सिंह बांए हाथ के गेंदबाज हैं। अर्शदीप सिंह टूर्नामेंट में अधिक मैच नहीं खेले, लेकिन दो मुकाबलो में कुल 3 विकेट लिए हैं।

अर्शदीप सिंह के पिता डीसीएम में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर हैं और उनकी मां दलजीत कौर एक हाउस वाइफ हैं। भारत के वर्ल्ड कप जीतने पर इनके घर और परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है। अर्शदीप सिंह चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज-32 में बीए प्रथम वर्ष के स्टूडेंट हैं। चंडीगढ़ के सेक्टर-36 स्थित गुरु नानक पब्लिक स्कूल (जीएनपीएस)-36 की क्रिकेट अकादमी के ट्रेनी हैं। 

क्रिकेट के लिए कड़ा संघर्ष: 
साल 2017 में अर्शदीप सिंह कनाडा जाने के लिए तैयार थे. दरअसल उनके बड़े भाई कनाडा में पढ़ाई करते थे और वहीं बस गए. ऐसे में उनके पिता चाहते थे कि वह भी कनाडा में जाकर पढ़ाई करें और अपना करियर संवारे. लेकिन युवा अर्शदीप ने अपने पिता से विनती करते हुए एक साल का वक्त मांगा और कहा अगर इस एक साल में वह कुछ नहीं कर पाए तो उनकी बात मान लेंगे. हालांकि एक साल पूरा होता उससे पहले ही उन्हें अंडर19 विश्व कप के लिए टीम में चुन लिया गया

मां अर्शदीप कौर ने बताया कि  बेटे अर्शदीप को शुरू से ही क्रिकेट से लगाव रहा। इसी को देखते हुए हमने उसे चंडीगढ़ की जीएनपीएस 36 में क्रिकेट अकादमी में डाल दिया। खरड़ से रोजाना अर्शदीप सिंह साइकिल से क्रिकेट सीखने के लिए आता जाता रहा।

स्कूल से अभ्यास के लिए सुबह जाता और देर शाम को घर वापिस लौटता था। यह रूटीन पिछले 7 साल तक चला। अब वह 19 साल का हो गया है। पिछले ही वर्ष हमने उसे मोटर साइकिल लेकर दी है। मां ने कहा क्रिकेट के लिए मेरे बेटे ने काफी संघर्ष किया है।