Sharad Purnima News: आज है शरद पूर्णिमा, जानें महत्व, कथा और शुभ समय
देवी लक्ष्मी और विष्णु पूजा: इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें।
Sharad Purnima News In Hindi: शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है। यह आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अमृत वर्षा करता है।
शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2025: Date and Time)
साल 2025 में शरद पूर्णिमा का पर्व 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा।
पूर्णिमा तिथि आरंभ (Purnima Tithi Begins) 6 अक्टूबर 2025, दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त (Purnima Tithi Ends) 7 अक्टूबर 2025, सुबह 9 बजकर 19 मिनट तक
खीर रखने का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time for Kheer) 6 अक्टूबर 2025, रात 10 बजकर 37 मिनट से रात 12 बजकर 09 मिनट तक (भद्रा काल से बचकर)
शरद पूर्णिमा का महत्व (Significance of Sharad Purnima)
शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह कई शुभ और कल्याणकारी घटनाओं से जुड़ा हुआ है:
अमृत वर्षा: ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं। इस रात खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखने और सुबह उसे प्रसाद के रूप में खाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और रोग-बीमारियां दूर होती हैं।
देवी लक्ष्मी का प्राकट्य: पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी इसी दिन प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन को लक्ष्मी प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भक्त जागरण कर उनकी पूजा करते हैं, उन पर विशेष कृपा करती हैं, जिससे घर में धन, सुख और समृद्धि आती है।
श्रीकृष्ण का महारास: यह पूर्णिमा भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला के लिए भी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था, जो प्रेम, भक्ति और आत्मा के परमात्मा से मिलन का प्रतीक है। इसी कारण इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से युक्त होता है। चंद्रमा को मन, शीतलता और औषधियों का कारक माना जाता है।
शरद पूर्णिमा की कथा (Story of Sharad Purnima) शरद पूर्णिमा से जुड़ी एक प्रसिद्ध व्रत कथा है जो व्रत के महत्व को बताती है:
प्राचीन काल में एक नगर में एक साहूकार था, जिसकी दो बेटियाँ थीं। दोनों ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं।
बड़ी बेटी पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत करती थी।
छोटी बेटी व्रत तो करती थी, लेकिन अधूरा रखती थी और नियमों का ठीक से पालन नहीं करती थी।
इस अपूर्ण व्रत के कारण, जब छोटी बेटी को संतान हुई तो वे जीवित नहीं रह सकीं। वह बहुत दुखी रहती थी। एक बार बड़ी बेटी उसके पास आई। संयोगवश, बड़ी बेटी का वस्त्र छोटी बेटी के मृत पड़े बालक को छू गया, और वह बालक तुरंत जीवित हो उठा।
इस चमत्कार को देखकर छोटी बेटी को अपनी गलती का एहसास हुआ। बड़ी बेटी ने उसे बताया कि यह सब पूर्णिमा के पूर्ण और विधि-विधान से किए गए व्रत का फल है। इसके बाद, छोटी बेटी ने भी श्रद्धा और सम्पूर्णता से शरद पूर्णिमा का व्रत किया, जिसके प्रभाव से उसके जीवन में भी सुख-शांति और संतान सुख आया।
संदेश: यह कथा बताती है कि कोई भी धार्मिक कार्य या व्रत पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ ही फलदायी होता है।
इस दिन क्या करें (Rituals on this Day)
1. खीर बनाना: रात में दूध, चावल, और चीनी से खीर बनाकर उसे एक चांदी या मिट्टी के बर्तन में रखकर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखें। इस खीर को सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
2. देवी लक्ष्मी और विष्णु पूजा: इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें।
3. चंद्र देव को अर्घ्य: रात में चंद्रोदय के बाद, चंद्र देव को दूध, जल, चावल और सफेद फूल मिलाकर अर्घ्य दें।
4. जागरण: रातभर जागकर (कोजागरी) देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और भजन-कीर्तन करें।
5. दान: इस दिन चावल, चीनी, दूध, सफेद वस्त्र आदि चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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