Krishna Janmashtami 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज; जानें रात में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त और व्रत विधि
जन्माष्टमी के दिन भक्त निर्जला उपवास रखते हैं और रात्रिकाल के शुभ मुहूर्त में खीरे से कान्हा का जन्म कराते हैं।
Krishna Janmashtami 2025: आज देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण की अष्टमी तिथि को हुआ था। भगवान कृष्ण का प्राकट्य मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए हर साल इस तिथि पर धूमधूम से कन्हैया का जन्मोत्सव मनाय जाता है। जन्माष्टमी के मौके पर भगवान के अलग-अलग स्वरूपों जैसे शालिग्राम, लड्डू गोपाल और राधा-कृष्ण स्वरूप की विधिवत पूजा होती है। इस दिन भक्त निर्जला उपवास रखते हैं। फिर रात्रिकाल के शुभ मुहूर्त में खीरे से कान्हा का जन्म कराते हैं। उन्हें पंचामृत से स्नान कराते हैं और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त? (Krishna Janmashtami 2025 Shubh muhurt)
इस बार जन्माष्टमी पर रात्रिकाल में लड्डू गोपाल की पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12 बजकर 04 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। यानी श्रीकृष्ण का जन्म कराने और विधिवत पूजा के लिए भक्तों को कुल 45 मिनट का समय मिलेगा।
कैसे करें श्रीकृष्ण का श्रृंगार? (Krishna Janmashtami 2025 Shringar vidhi)
जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण के श्रृंगार में फूलों का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा के लिए ताजे और सुगंधित फूलों का प्रयोग करें। लड्डू गोपाल को पीले रंग के वस्त्र धारण कराएं और माथे और शरीर पर गोपी चंदन एवं चंदन लगाएं। काले रंग का इस्तेमाल करने से बचें।
श्रीकृष्ण का प्रसाद (Krishna Janmashtami 2025 Prasad)
जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण को प्रसाद अर्पित करते समय पंचामृत का विशेष महत्व है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं, जो भगवान के अभिषेक और प्रसाद दोनों के रूप में प्रयोग किया जाता है। तुलसी को पंचामृत में डालना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पंचामृत शुद्धता, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। और इसे ग्रहण करने से मन और शरीर दोनों पवित्र रहते हैं. इसके साथ मेवा, माखन और मिश्री का भोग लगाएं। कई स्थानों पर धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। इस दिन कई तरह के पूर्ण सात्विक भोजन भी श्रीकृष्ण को अर्पित किए जा सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा और व्रत विधि (Krishna Janmashtami 2025 vrat niyam)
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सुबह स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें। यह व्रत निर्जला रखा जाता है, जिसमें दिन में सिर्फ एक बार जल ग्रहण किया जा सकता है। हालांकि कुछ परिस्थितियों में जलाहार या फलाहार भी व्रत रखा जा सकता है।
पूजा और व्रत के नियम:
- मध्यरात्रि में खीरे से बाल गोपाल का जन्म कराएं।
- कान्हा की धातु निर्मित प्रतिमा को किसी पात्र में रखें और पंचामृत स्नान कराएं।
- पंचामृत में दूध, दही, शहद, शक्कर और घी शामिल होते हैं।
- इसके बाद जल से स्नान कराएं और श्री कृष्ण को पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें।
- अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित करें।
- इस दिन काले या सफेद वस्त्र धारण न करें और पूर्णत: सात्विक रहें।
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