बीएमसी ने पहली बार 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट किया पेश

Rozanaspokesman

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बजट दस्तावेजों के अनुसार, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित इस बजट में 52,619.07 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया है, जो 2022-23 के बजटीय अनुमान...

BMC presented a budget of more than Rs 50,000 crore for the first time

मुंबई : देश के सबसे अमीर नगर निकाय बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए शनिवार को 52,619.07 करोड़ रुपये का बजट पेश किया। बीएमसी ने पहली बार 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट पेश किया है।. इस बार पेश किया गया बजट 2022-23 के 45,949 करोड़ रुपये के मुकाबले 14.52 प्रतिशत अधिक है।.

यह बजट बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल के समक्ष पेश किया गया, जिन्हें पार्षदों का पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पिछले साल मार्च में राज्य सरकार ने स्थानीय निकाय का प्रशासक नियुक्त किया था।. बजट दस्तावेजों के अनुसार, ‘‘वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित इस बजट में 52,619.07 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया है, जो 2022-23 के बजटीय अनुमान 45,949.21 करोड़ रुपये से 14.52 प्रतिशत अधिक है।’’.

यह 1985 के बाद पहली बार है, जब देश के सबसे अमीर नगर निकाय के प्रशासन ने किसी प्रशासक के समक्ष बजट पेश किया है, क्योंकि उसके पार्षदों का पांच साल का कार्यकाल सात मार्च 2022 को समाप्त हो चुका है।.

बजट पेश करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में चहल ने कहा, ‘‘बीएमसी के इतिहास में यह पहली बार है कि अनुमानित बजट 50,000 करोड़ रुपये के पार चला गया है।’’. बजट में नगर निकाय ने पूंजीगत व्यय के लिए 27,247.80 करोड़ रुपये और राजस्व खर्च के लिए 25,305.94 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।.

चहल ने यह भी कहा कि यह पहली बार है, जब नगर निकाय पूंजीगत व्यय के लिए 52 प्रतिशत और राजस्व खर्च के लिए 48 प्रतिशत बजट आवंटित कर रहा है।.

बजट दस्तावेज के मुताबिक, महत्वाकांक्षी तटीय सड़क परियोजना के लिए 3,545 करोड़ रुपये, जबकि गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड के लिए 1,060 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे मुंबई और ठाणे शहर के बीच यात्रा का समय कम हो जाएगा। साथ ही यातायात संचालन और सड़क परियोजनाओं के लिए 2,825 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।.

चहल ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और पारदर्शी कामकाज हमारे बजट के चार स्तंभ हैं।’’. बीएमसी के लिए चुनाव लंबित है। कोरोना वायरस महामारी, वार्डों के परिसीमन और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कोटा जैसी वजहों से चुनावों में देरी हुई है।