आंध्र प्रदेश : धन की कमी के कारण स्कूलों के नवीनीकरण का काम रुका

Rozanaspokesman

राज्य

सरकार ने 16,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से 2024 तक तीन चरणों में राज्य के 45,500 से अधिक स्कूलों को पूरी तरह से नया रूप देने का प्रस्ताव रखा है।

Andhra Pradesh: School renovation work stalled due to paucity of funds

अमरावती : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘माना बाड़ी : नाडु-नेडू’ (हमारा स्कूल, तब और अब) के दूसरे चरण का काम धन की कमी के कारण पूरे आंध्र प्रदेश में रुक गया है।

स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, नाबार्ड ने दूसरे चरण के कार्यों के लिए 2,000 करोड़ रुपये और विश्व बैंक ने 380 करोड़ रुपये ऋण के रूप में जारी किए हैं, लेकिन 950 करोड़ रुपये के बिलों को मंजूरी देने के लिए वित्त विभाग से अनुदान जारी करने में देरी हो रही है।

महत्वाकांक्षी प्रमुख कार्यक्रम के तहत, राज्य सरकार ने दूसरे चरण में 4,535 करोड़ रुपये की लागत से 16,493 से अधिक स्कूलों का नवीनीकरण करने का प्रस्ताव दिया है। मुख्यमंत्री ने 16 अगस्त, 2021 को दूसरे चरण के कार्यों का शुभारंभ किया, जिन्हें अगस्त 2022 तक पूरा किया जाना था।

‘माना बाड़ी : नाडु-नेडू’ के अंतर्गत सरकारी स्कूल के भवनों की दीवारों पर विषयगत चित्रों के साथ पेंट कर उन्हें नया रंग-रूप देना, पंखे और फ्लोरोसेंट रोशनी के साथ कक्षाओं में नया फर्नीचर लगाने, स्वच्छ शौचालयों का निर्माण करना, सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना, अंग्रेजी भाषा की प्रयोगशालाओं की स्थापना करना और मध्यान्ह भोजन तैयार करने के लिए रसोई घर का निर्माण करना प्रमुख कार्य में शामिल हैं।

कुल मिलाकर सरकार ने 16,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से 2024 तक तीन चरणों में राज्य के 45,500 से अधिक स्कूलों को पूरी तरह से नया रूप देने का प्रस्ताव रखा है।

पहले चरण के तहत पिछले साल 15,715 स्कूलों को शामिल किया गया था, जिस पर सरकार ने 3,699 करोड़ रुपए खर्च किए। अधिकारियों ने कहा कि दूसरे चरण के कार्यों में 4,535 करोड़ रुपये की कुल लागत में से अब तक 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने अब तक पूरे हुए कार्यों के लिए 950.54 करोड़ रुपये के बिल जारी किए हैं, लेकिन सरकार ने अब तक पैसा जारी नहीं किया है। चूंकि कोई धन उपलब्ध नहीं है, इसलिए काम रोक दिया गया है।’’ उन्होंने कहा कि शुरू में रेत की अनुपलब्धता के कारण नाडु-नेडू कार्यों में बाधा आई, लेकिन जब यह उपलब्ध हो गई तो इसे खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।