सनातन धर्म को मिटाने संबंधी बयान के लिए उदयनिधि स्टालिन को सुप्रीम कोर्ट  का नोटिस

Rozanaspokesman

राज्य

शीर्ष अदालत ने इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने समेत कई निर्देश पारित किए थे।

Supreme Court notice to Udhayanidhi Stalin for his statement regarding erasure of Sanatan Dharma

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने “सनातन धर्म को मिटाने” संबंधी टिप्पणी के लिए तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर स्टालिन और राज्य सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने बी. जगन्नाथ नामक व्यक्ति की याचिका पर नोटिस जारी किए, जिसमें स्टालिन के खिलाफ इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई कि टिप्पणियां नफरती भाषण के समान हैं और शीर्ष अदालत ने इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने समेत कई निर्देश पारित किए थे।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दामा शेषाद्री नायडू ने कहा कि मंत्री ने कथित तौर पर स्कूली छात्रों से कहा कि यह धर्म अच्छा नहीं है और दूसरा धर्म अच्छा है। नायडू ने कहा, “इस अदालत ने ऐसे मामलों पर ध्यान दिया है, जिनमें किसी व्यक्ति ने दूसरे धर्म के खिलाफ ऐसा बयान दिया था, लेकिन इस मामले में बयान एक मंत्री ने दिया है। यहां एक राज्य की बात है, जो स्कूली छात्रों को बता रहा है कि अमुक धर्म गलत है।”

पीठ ने नायडू से पूछा कि वह अदालत से क्या चाह रहे हैं, जिस पर उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि अदालत मंत्री (स्टालिन) को ऐसा कोई भी बयान देने से रोके और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए। पीठ ने कहा, “ हम नोटिस जारी कर रहे हैं, हालांकि आप प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए उच्चतम न्यायालय आकर इसे थाना बना रहे हैं। आपको उच्च न्यायालय जाना चाहिए था।”

नायडू ने कहा कि उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह एक मंत्री हैं और जब वे प्राथमिकी दर्ज कराने गए, तो किसी ने दर्ज नहीं की।.