ओडिशा : भगवान जगन्नाथ की ‘बाहुड़ा यात्रा’ शुरू

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रथ यात्रा 20 जून को शुरू हुई थी, ...

Odisha: 'Bahuda Yatra' of Lord Jagannath begins (फोटो साभार -PTI)

पुरी: ‘जय जगन्नाथ’ के उद्घोष और झांझ-मंजीरों की थाप के बीच तीर्थनगरी में बुधवार को भगवान जगन्नाथ की ‘बाहुड़ा यात्रा’ (रथ की वापसी) शुरू हुई। भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को गुंडिचा मंदिर से एक औपचारिक ‘धाडी पहांडी’ (जुलूस) में उनके रथों पर ले जाया गया, जो श्रीमंदिर में उनके निवास स्थान के लिए उनकी वापसी यात्रा या ‘बाहुड़ा यात्रा’ की शुरुआत का प्रतीक है।

रथ यात्रा 20 जून को शुरू हुई थी, जब देवी-देवताओं को मुख्य मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया गया था। देवता सात दिन तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं, जिसे भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का जन्मस्थान माना जाता है।

श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने पहले ‘पहांडी’ का समय दोपहर 12 बजे से ढाई बजे बजे के बीच तय किया था, लेकिन जुलूस निर्धारित समय से काफी पहले ही पूरा हो गया।

परंपरा के अनुसार, पुरी के गजपति महाराजा दिव्य सिंह देब द्वारा तीन रथों में ‘छेरा पाहनरा’ (रथों को साफ करने संबंधी) अनुष्ठान किया गया। रथों को शाम चार बजे से खींचना शुरू किया जाएगा। एसजेटीए के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हमें उम्मीद है कि सभी अनुष्ठान समय से बहुत पहले हो जाएंगे क्योंकि ‘पहांडी’ समयपूर्व संपन्न हो गई थी।’’

अधिकारी ने बताया कि देवता बुधवार रात तक 12वीं सदी के मंदिर के सिंह द्वार के सामने रथों पर विराजमान रहेंगे और 29 जून को रथों पर औपचारिक ‘सुनाबेशा’ (सोने की पोशाक पहनाने की प्रथा) किया जाएगा। करीब 10 लाख भक्तों के इस मौके पर पहुंचने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि 30 जून को रथों पर ‘अधार पाना’ अनुष्ठान किया जाएगा, जबकि एक जुलाई को ‘नीलाद्रि बिजे’ नामक अनुष्ठान में देवताओं को मुख्य मंदिर में वापस ले जाया जाएगा।