मिलिए 4 साल की अखंड जोत से, जिसे मुंह जुबानी याद है राग माला, सुबह-शाम करती है वाहेगुरू का पाठ
मिलिए 4 साल की अखंड जोत से, जिसे मुंह जुबानी याद है राग माला, सुबह-शाम करती है वाहेगुरू का पाठ
मिलिए 4 साल की अखंड जोत से, जिसे मुंह जुबानी याद है राग माला, सुबह-शाम करती है वाहेगुरू का पाठ