‘एपिजेनेटिक’ आणविक प्रक्रियाएं हैं जो डीएनए से अलग हैं और यह जीन व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
वाशिंगटन : तीन मार्च (भाषा) अपने शिशु के प्रति मां का तटस्थ या अजीब व्यवहार बच्चे के ‘एपिजेनेटिक’ बदलाव को प्रभावित करता है, जो कुछ समय बाद बच्चों में तनाव से निपटने की क्षमता में झलकता है। बच्चों के बढ़ने के शुरुआती दिनों पर आधारित एक नये अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है।
‘एपिजेनेटिक’ आणविक प्रक्रियाएं हैं जो डीएनए से अलग हैं और यह जीन व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि 12 महीने की उम्र में माताओं के अपने बच्चों के साथ तटस्थ या अजीब व्यवहार का संबंध ‘एनआर3सी1’ जीन पर मिथाइलेशन नामक ‘एपिजेनेटिक’ परिवर्तन से है, जो बच्चे के सात साल की उम्र होने पर सामने आता है।
अध्ययन में पाया गया कि यह जीन तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को विनियमित करने से संबंधित है।
अध्ययन की प्रमुख लेखिका एलिजाबेथ होल्ड्सवर्थ ने कहा कि इस बात के साक्ष्य सामने आये हैं कि मां और शिशु के बीच का व्यवहार ‘एनआर3सी1’ जीन में बदलाव को प्रभावित करता है।.
यह अध्ययन ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन के लिए होल्ड्सवर्थ और उनके सह-लेखकों ने माता-शिशु के 114 उप-नमूनों पर कार्य किया। अध्ययन माताओं पर केंद्रित था क्योंकि वे अक्सर शिशुओं की प्राथमिक देखभालकर्ता होती हैं।