इन छात्रों का नाम नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबु बकर मजूमदार है.
Bangladesh Crisis News: बंग्लादेश में इन दिनों हाहाकार मचा हुआ है. पीएम शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा है. हर तरफ आगजनी हो रही है. 15 साल से सत्ता में बैठी शेख हसीना को पल भर में गिराने और उसे भागने पर मजबूर करने के पीछे 3 अहम किरदार हैं, जिन्होंने आंदोलन को हवा दी जो आज देश में भयानक आग की तरह फैल गई है.
आज हम आपको इन तीन छात्रों के बारे में बताने जा रहे हैं. इन छात्रों का नाम नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबु बकर मजूमदार है.
नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बक, ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र हैं. तीनों सामान्य घरों से आते हैं. इनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड भी नहीं है. कुछ छोटे-मोटे प्रदर्शनों का हिस्सा रहे. लेकिन हसीना की आरक्षन कोटा प्रणाली ने इन्हें बड़े आंदोलन को लीड करने के लिए मजबूर कर दिया.
नाहिद इस्लाम छात्र आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा है। उसने पुलिस पर आरोप लगाया कि 20 जुलाई की सुबह उसे उठा लिया गया था। उसे लोहे के रॉड से पीटा गया. जब उसकी आंखें खुली तो खुद को सड़क के किनारे पड़ा पाया.
26 जुलाई को एक बार फिर नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर को पुलिस की डिटेक्टिव विंग ने एक अस्पताल से उठा लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नाहिद को लोहे की छड़ों से पीटा गया जबकि आसिफ को एक इंजेक्शन दिया गया जिससे वह कई दिनों तक बेहोश रहा. इनके चेहरे परल चोट के निशान ने प्रदर्शनकारियों को भड़का दिया। वे और हिंसक होकर सड़कों पर उतर आए।
आसिफ महमूद, जो ढाका यूनिवर्सिटी में लैंग्वेज स्टडीज का छात्र है। वह जून में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए देशव्यापी आंदोलन का हिस्सा बना। तीसरा नाम अबु बकर मजूमदार का है. शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में अबू बकर ने भी मजूमदार भी है। वह ढाका यूनिवर्सिटी में भूगोल यानी जियोग्राफी डिपार्टमेंट का स्टूडेंट है।
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद यही छात्र नई अंतरिम सरकार की रूपरेखा तय कर रहे हैं. नाहिद ने विद्रोह को उन शहीद छात्रों और आम जनता को समर्पित किया, जिसके कारण शेख हसीना की सरकार गिर गई. उन्होंने कहा, हम उन लोगों को राष्ट्रीय नायक घोषित करते हैं जो विद्रोह में मारे गए हैं.
बांग्लादेश में छात्र क्यों कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन ?
बता दे कि देश में प्रधान मंत्री शेख हसीना के विवादास्पद कोटा प्रणाली प्रस्ताव की वजह से अशांति फैली हुई है, जिसमें 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश को आज़ादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरी आरक्षण की बात कही गई . इस योजना के कारण देश में व्यापक प्रदर्शन शुरू हुई. छात्रों के नेतृत्व वाला असहयोग आंदोलन कई हफ्तों से हसीना सरकार पर दबाव बना रहा है। छात्रों ने इस योजना का विरोध किया.
(For more news apart from Bangladesh Dhaka University students Nahid Islam, Asif Mahmood and Abu Bak bangladesh Protest Leaders, stay tuned to Rozana Spokesman)