जॉनसन के करीबी निगेल एडम्स के इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी।
लंदन: ब्रिटेन में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। कंजरवेटिव पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफे से खाली हुई उक्सब्रिज और साउथ रुइस्लिप सीट पर जीत का सिलसिला बरकरार रखने में तो कामयाब रही, लेकिन दो अन्य सीटों पर उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।
बृहस्पतिवार को हुए उपचुनाव को अर्थव्यवस्था को संभालने के मामले में सुनक के प्रदर्शन और अगले साल की दूसरी छमाही में प्रस्तावित आम चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी संभावनाओं के रिपोर्ट कार्ड के तौर पर देखा जा रहा था।
उपचुनाव में कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार स्टीव टकवेल ने उक्सब्रिज और साउथ रुइस्लिप पर मामूली अंतर से जीत दर्ज की। यह सीट कोविड-19 की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान 10 डाउनिंग स्ट्रीट (ब्रिटेन का प्रधानमंत्री आवास) में पार्टियों के आयोजन को लेकर जांच का सामना कर रहे जॉनसन के पिछले महीने इस्तीफा देने के कारण खाली हुई थी।
सेल्बी और आइंस्टी सीट पर हुए उपचुनाव में विपक्षी दल लेबर पार्टी ने 20 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की। जॉनसन के करीबी निगेल एडम्स के इस्तीफा देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी।
लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक जीत है, जो दर्शाती है कि लोग नेतृत्व के लिए लेबर पार्टी की तरफ देख रहे हैं। वे लेबर पार्टी को एक ऐसी बदली हुई पार्टी के रूप में देख रहे हैं, जिसका पूरा ध्यान एक व्यावहारिक कार्ययोजना के साथ कामकाजी लोगों की महत्वकांक्षाओं को पूरा करने पर है।” सेल्बी और आइंस्टी में लेबर पार्टी की जीत के साथ 25 वर्षीय कीर माथेर ब्रिटिश संसद के सबसे युवा सदस्य बन गए। उनसे पहले यह रिकॉर्ड नॉटिंघम ईस्ट से भारतीय मूल की लेबर सांसद नाडिया (26) के नाम पर दर्ज था।
कंजरवेटिव पार्टी को दूसरा झटका सोमरसेट और फ्रोम सीट पर हुए उपचुनाव में लगा, जहां लिबरल डेमोक्रेट पार्टी की उम्मीदवार सारा डाइक ने 11 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की। डाइक के खाते में जहां कुल 21,187 वोट पड़े, वहीं कंजरवेटिव प्रत्याशी फे बरब्रिक को 10,179 मतों से संतोष करना पड़ा।
सोमरसेट और फ्रोम में कंजरवेटिव सांसद डेविड वारबर्टन के इस्तीफे के कारण उपचुनाव जरूरी हो गया था। वारबर्टन ने मादक पदार्थ के सेवन और यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगने के बाद संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।