खड़गे ने बताया कि विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें हरियाणा में दंगों के बारे में भी अवगत कराया।
New Delhi: विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे मणिपुर मुद्दे पर हस्तक्षेप का आग्रह किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी दलों की ओर से मंगलवार को राष्ट्रपति से मुलाकात का समय मांगा था।
खड़गे ने बताया कि विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें हरियाणा में दंगों के बारे में भी अवगत कराया।
उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर का दौरा करने के साथ ही जरूरी कदम उठाने चाहिए। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। वहां घटने वाली घटनाओं, खासकर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के बारे में उन्हें अवगत कराया। हम राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित करने के लिए मिले।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम लोकसभा में जब अपनी बात रख-रखकर थक गए थे, तो अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। इस पर कल ही चर्चा होनी चाहिए थी। सरकार का एक ही मकसद है -जवाब नहीं देना और चीजों से बचना।’’
खड़गे के अनुसार, विपक्ष राज्यसभा में नियम 267 के तहत चर्चा चाहता है, लेकिन सरकार नहीं सुन रही है।.
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली से सटे राज्य में दंगे हो रहे हैं, लेकिन कोई संज्ञान नहीं लेता। हमने ये सारी बातें राष्ट्रपति को बतायीं।’’ विपक्षी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति मुर्मू को एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें मणिपुर की स्थिति का विस्तृत उल्लेख करने के साथ ही उनके दखल की मांग की गई है।
विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के कुछ सांसदों ने 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा किया था। वे राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले विपक्षी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। विपक्ष मणिपुर हिंसा पर संसद में नियम 267 के तहत चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बयान देने की मांग कर रहा है जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन मणिपुर पर एक अल्पकालिक चर्चा चाहता है जिस पर जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देंगे।
‘इंडिया’ के घटक दलों के 21 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा किया था। प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि अगर मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही अब तक बाधित रही है।
मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर कांग्रेस ने संसद में जारी गतिरोध के बीच गत सप्ताह लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। इस पर आठ से 10 अगस्त तक चर्चा होगी। चर्चा के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जवाब दे सकते हैं।