पीठ ने कहा, “इस पर सुनवाई करनी होगी। सुनवाई किए जाने की जरूरत है। नोटिस जारी किए जाते हैं।”
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने विपक्षी दलों को उनके गठबंधन के लिए ‘इंडिया’ शब्द का इस्तेमाल करने से रोकने का अनुरोध करने वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र सरकार, भारत निर्वाचन आयोग और 26 राजनीतिक दलों से जवाब मांगा।
आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए 26 विपक्षी दलों ने कर्नाटक के बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को आयोजित अपनी बैठक में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) नामक गठबंधन बनाने की घोषणा की थी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत निर्वाचन आयोग तथा 26 राजनीतिक दलों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि मामले पर सुनवाई किए जाने की जरूरत है।
पीठ ने कहा, “इस पर सुनवाई करनी होगी। सुनवाई किए जाने की जरूरत है। नोटिस जारी किए जाते हैं।”
हालांकि, हाई कोर्ट ने इस स्तर पर कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि प्रतिवादियों की दलीलें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा, “हम इस तरह का कोई आदेश पारित नहीं कर सकते। दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया आने दीजिए। हम निश्चित रूप से इस पर गौर करेंगे।”
याचिकाकर्ता गिरीश भारद्वाज ने कहा कि याचिका के ज्ञापन में जिन 26 राजनीतिक दलों का जिक्र है, उनमें से 16 दलों के प्रमुख नेता और सदस्य 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन बनाने के वास्ते 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में एकत्रित हुए थे और रणनीति तैयार करने तथा गठबंधन एवं उसके संयोजक का नाम चुनने की खातिर बेंगलुरु में फिर से मिलने पर सहमत हुए थे।
अधिवक्ता वैभव सिंह से माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि 17 जुलाई को ये राजनीतिक दल 2024 के आम चुनावों के लिए भावी रणनीति को आकार देने के वास्ते बेंगलुरु में जुटे और विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखने की घोषणा की।
याचिका के मुताबिक, इन दलों ने कहा है कि वे 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे।
याचिका में विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ शब्द का इस्तेमाल करने पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। इसमें यह भी आग्रह किया गया है कि प्रतिवादी राजनीतिक गठबंधन को ‘इंडिया’ शब्द के साथ राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल करने की इजाजत भी न दी जाए।
याचिका में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों का जिक्र किया गया है।
इसमें कहा गया है, “...राहुल गांधी ने हमारे राष्ट्र का नाम घसीटकर बहुत ही चालाकी से अपने गठबंधन का नाम हमारे राष्ट्र के नाम के रूप में पेश किया और यह दिखाने की कोशिश की कि राजग/भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारे ही देश यानी भारत के खिलाफ खड़े हैं। राहुल गांधी के इस प्रयास ने आम लोगों के मन में भ्रम पैदा कर दिया कि 2024 के आम चुनाव राजनीतिक दलों के बीच या गठबंधन और हमारे देश के बीच की लड़ाई होंगे।”.
याचिका में कहा गया है, “इस तरह का भ्रम पैदा करके प्रतिवादी राजनीतिक दल हमारे देश के नाम का अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं।”.
इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने निर्वाचन आयोग को एक अभ्यावेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
याचिका में जिन राजनीतिक दलों को प्रतिवादी के रूप में सूचिबद्ध किया गया है, उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का शरद पवार गुट, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), अपना दल (कमेरावादी) शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एमडीएमके), कोंगनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), विदुथलाई चिरुथिगल काची, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि) और मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके) को भी याचिका में प्रतिवादी दलों के रूप में शामिल किया गया है।.