रवींद्रनाथ अन्नाद्रमुक के अपदस्थ नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के बेटे हैं।
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के निष्कासित नेता पी रवींद्रनाथ के तमिलनाडु के थेनी संसदीय क्षेत्र से 2019 के निर्वाचन को ‘अमान्य और शून्य’ घोषित करने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध रवींद्रनाथ की अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और पी मिलानी को नोटिस जारी किया। मिलानी ने ही थेनी निर्वाचन क्षेत्र से रवींद्रनाथ के निर्वाचन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
पीठ ने शुक्रवार को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘ इस बीच, मद्रास उच्च न्यायालय के छह जुलाई, 2023 के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी। फलस्वरूप अपीलकर्ता (पी रवींद्रनाथ) को अगले आदेशों तक सभी मकसदों के लिए 17 वीं लोकसभा का सदस्य बने रहने की अनुमति होगी।’’
रवींद्रनाथ अन्नाद्रमुक के अपदस्थ नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम के बेटे हैं।
मिलानी ने उच्च न्यायालय के समक्ष आरोप लगाया था कि रवींद्रनाथ ने चुनाव के लिए अपना नामांकन भरने के समय अपनी तथा अपने परिवार के सदस्यों की चल-अचल संपत्तियों एवं देनदारियों समेत कई सूचनाएं छिपाई थीं। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि तथ्यों को दबा देने से चुनाव पर असर पड़ा।
रवींद्रनाथ ने उच्च न्यायालय में कहा था कि तथ्यों को नहीं बताने से चुनाव परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
पिछले साल जुलाई में अन्नाद्रमुक का अंतरिम महासचिव निर्वाचित होने के बाद इडप्पडी के पलानीस्वामी ने अपने प्रतिद्वंद्वी पन्नीरसेल्वम और उनके बेटे रवींद्रनाथ को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
बाद में पलानीस्वामी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा था कि रवींद्रनाथ अन्नाद्रमुक के साथ नहीं हैं इसलिए उन्हें पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाला सांसद नहीं माना जाए।
दरअसल लोकसभा में अन्नाद्रमुक का अब कोई सदस्य नहीं है क्योंकि रवींद्रनाथ 2019 में पार्टी के एकमात्र सफल उम्मीदवार थे जब द्रमुक और उसके सहयोगियों ने चुनाव में जबर्दस्त जीत दर्ज की थी। रवींद्रनाथ ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता ई वी के एस इलानगोवन को हराया था।