बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक कामकाजी महिला को निर्देश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को प्रति माह 10,000 रुपये का गुजारा भत्ता दे.
Mumbai High Court News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जो शायद ही किसी अदालत ने कभी सुनाया हो. आमतौर पर जब पति-पत्नी के तलाक का मामला कोर्ट तक जाता है तो ज्यादात्तर मामलों में कोर्ट पति से ही पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश देती है. पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे हटकर फैसला सुनाया है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक कामकाजी महिला को निर्देश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को प्रति माह 10,000 रुपये का गुजारा भत्ता दे, जो अपनी बीमारी के कारण रहने का खर्च उठाने में असमर्थ है।
न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की पीठ ने 2 अप्रैल को अपने आदेश में कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धाराओं में 'पति/पत्नी' शब्द का उल्लेख है और इसमें पति और पत्नी दोनों शामिल हैं। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि महिला ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि उसका पूर्व पति अपने खराब स्वास्थ्य के कारण जीवनयापन के लिए आय अर्जित करने में सक्षम नहीं है.
अदालत ने कहा, "जब पति अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हो और पत्नी के पास आय का कोई स्रोत हो, तो वह अंतरिम गुजारा भत्ता देने के लिए उत्तरदायी है।"
मुंबई हाई कोर्ट का यह फैसला उस पारंपरिक कानूनी धारणा को चुनौती देता है, जहां आम तौर पर पति को पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया जाता है।
(For more news apart fromMumbai High Court's decision Wife to give alimony of Rs 10,000 per month to sick ex-husband, stay tuned to Rozana Spokesman)