शीर्ष अदालत ने धन शोधन के एक मामले में आरोपी परविंदर सिंह खुराना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए ये टिप्पणियां कीं।
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को यांत्रिक तरीके से और बिना कोई कारण बताए जमानत आदेशों पर रोक लगाने से बचना चाहिए। किसी आरोपी को राहत केवल दुर्लभ व अपवादात्मक मामलों में ही देने से इन्कार किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने धन शोधन के एक मामले में आरोपी परविंदर सिंह खुराना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए ये टिप्पणियां कीं। खुराना ने ट्रायल कोर्ट से पारित जमानत आदेश पर अस्थायी रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, अदालतें किसी अभियुक्त की स्वतंत्रता को अनौपचारिक रूप से बाधित नहीं कर सकतीं। अदालतों को सिर्फ दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही जमानत आदेश पर रोक लगानी चाहिए। जैसे व्यक्ति आतंकवादी मामलों में शामिल हो, जहां आदेश विकृत हो या कानून के प्रावधानों को दरकिनार किया गया हो।
पीठ ने कहा, आप इस तरह से स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं कर सकते। अगर हम इस तरह से रोक लगाते हैं, तो यह विनाशकारी होगा। अनुच्छेद 21 कहां जाएगा। पीएमएलए मामले में पिछले साल 17 जून को ट्रायल कोर्ट ने खुराना को जमानत दे दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जून को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई और खुराना की जमानत बहाल कर दी।
(For More News Apart from 'Put ban on bail only in rare and extraordinary cases', Supreme Court's big comment, Stay Tuned To Rozana Spokesman)