शुरू की गई ड्रिलिंग को ताजा भूस्खलन के चलते रोकना पड़ा।
Uttarkashi tunnel collapse: पिछले 72 घंटों से यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को बचाने के प्रयासों को उस समय झटका लगा जब 'एस्केप टनल' बनाने के लिए शुरू की गई ड्रिलिंग को ताजा भूस्खलन के चलते रोकना पड़ा।
उत्तरकाशी में अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार रात साढ़े 12 बजे तक मलबे में माइल्ड स्टील पाइप डालने के लिए ड्रिलिंग का काम किया जा रहा था, लेकिन भूस्खलन होने के कारण उसे रोकना पड़ा। इस बीच सिल्कयारा सुरंग में ड्रिलिंग के लिए लगाई गई ऑगर मशीन के भी क्षतिग्रस्त होने की खबर है.
इससे पहले मंगलवार रात को भी सुरंग में भूस्खलन होने से बचाव कार्यों में जुटे दो मजदूर मामूली रूप से घायल हो गए थे। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने देहरादून में कहा कि भारतीय वायु सेना से बात हो गई है और जल्द ही उसके विमान से दिल्ली से बड़ी मशीनें मौके पर भेजी जाएंगी, जिससे मजदूरों को जल्द ही सुरंग से बाहर निकाला जा सकेगा।
दिल्ली से दो हरक्यूलिस विमान बचाव कार्यों के लिए आपूर्ति लेकर घटना स्थल के पास चिनियालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे, जहां से उन्हें सिल्क्यारा के लिए उड़ाया जाएगा। उधर, सिलकियारा स्थित पुलिस नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार ऑगर मशीन लगाने के लिए बनाये गये प्लेटफार्म को तोड़कर बड़ी मशीनों के लिए नया प्लेटफार्म बनाया जायेगा. मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग के लिए ऑगर मशीन स्थापित करने के लिए प्लेटफॉर्म बनाने में मंगलवार को लगभग पूरा दिन लग गया।
बचाव कार्य में बाधा के कारण रविवार सुबह से सुरंग में फंसे मजदूरों के बाहर आने का इंतजार लंबा होता जा रहा है. राज्य आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने सोमवार को उम्मीद जताई कि मंगलवार रात या बुधवार सुबह तक श्रमिकों को निकाल लिया जाएगा। बाद में 900 मिमी व्यास वाले पाइप के जरिए 'एस्केप टनल' बनाकर मजदूरों को निकालने की नई योजना सामने आने के बाद उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला ने मंगलवार को कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो मजदूरों को बुधवार को बाहर लिया निकाल लिया जाएगा।
सभी मजदूर सुरक्षित
हालांकि, सुरंग में फंसे सभी मजदूर सुरक्षित बताए जा रहे हैं और उन्हें पाइप के जरिए ऑक्सीजन, पानी, सूखे मेवे और अन्य खाद्य सामग्री, बिजली, दवाएं आदि लगातार पहुंचाई जा रही हैं. रविवार को चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत सिल्क्यारा की ओर से मुहाने के अंदर 270 मीटर अंदर बनी सुरंग का करीब 30 मीटर हिस्सा ढह गया था और तब से मजदूर अंदर फंसे हुए हैं. उन्हें बचाने के लिए युद्धस्तर पर बचाव और राहत अभियान चलाया जा रहा है. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन के 160 बचाव कर्मियों की एक टीम दिन-रात बचाव कार्यों में लगी हुई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अधिकारी सुरंग के अंदर जाकर और पाइप के जरिए श्रमिकों से बात कर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं. प्रशासन और पुलिस अधिकारी श्रमिकों के परिवारों को बचाव कार्यों की जानकारी दे रहे हैं और श्रमिकों से बातचीत कर रहे हैं।
श्रमिकों की वापसी के बाद तत्काल इलाज के लिए अस्थायी अस्पताल तैयार
उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी आर.सी.एस. पंवार ने बताया कि टनल के पास छह बिस्तरों वाला अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा 10 एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीमें भी मौके पर तैनात हैं ताकि जब मजदूर बाहर आएं तो उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता दी जा सके. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार अधिकारियों से सुरंग में फंसे श्रमिकों और उन्हें बचाने के लिए की जा रही कार्रवाई की जानकारी ले रहे हैं.
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