पिछली सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने की थी.
Patanjali Misleading Ad Case News: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की आज सुप्रीम कोर्ट में पेशी है। पतंजलि के खिलाफ दायर भ्रामक विज्ञापन की शिकायत पर सुनवाई होनी है. आखिरी सुनवाई 10 अप्रैल को हुई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की माफी खारिज कर दी थी. आज इस माफीनामे पर दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश करेंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि बाबा रामदेव को माफ़ किया जाए या सज़ा दी जाए.
पिछली सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने की थी. पतंजलि की ओर से वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी पेश हुए। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार की ओर से ध्रुव मेहता और वंशजा शुक्ला पेश हुए.
पिछली सुनवाई में बेंच ने लगाई थी फटकार
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10 अप्रैल को हुई सुनवाई में बेंच ने बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी. पीठ ने कहा था कि बाबा रामदेव और पतंजलि ने जानबूझकर आदेशों का उल्लंघन किया है। इसलिए माफ़ी स्वीकार्य नहीं है, कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी फटकार लगाई.
केंद्र सरकार से सवाल किया गया कि विभाग के ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंसिंग अधिकारी क्या कर रहे हैं? उनकी जिम्मेदारियाँ क्या हैं? अगर लापरवाही बरती जा रही है तो दोनों अधिकारियों को निलंबित क्यों नहीं किया गया? नियमों व आदेशों को हल्के में लिया जा रहा है। आपको बता दें कि बाबा रामदेव ने सबसे पहले 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर माफी मांगी थी और फिर 10 अप्रैल को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी थी.
क्या है पतंजलि का भ्रामक विज्ञापन मामला?
बाबा रामदेव और पतंजलि पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भ्रामक विज्ञापन दिखाने और जारी करने का आरोप लगाया है। याचिका 17 अगस्त 2022 को दायर की गई थी. इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को पतंजलि को निर्देश दिया कि वह किसी भी उत्पाद का भ्रामक विज्ञापन न दे। आदेश के बावजूद विज्ञापन दिखाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी 2024 को पतंजलि को फटकार लगाई थी.
कहा गया कि पतंजलि और बाबा रामदेव भ्रामक विज्ञापन दिखाकर लोगों को ठग रहे हैं. यह कैसे कहा जा सकता है कि पतंजलि की दवाएं बीमारियों को 100 प्रतिशत ठीक कर सकती हैं? क्या इसका कोई ठोस सबूत है? सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च और 2 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई की.
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