कारीगरों और शिल्पकारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के रूप में पहचान मिलेगी।
New Delhi: भारत में कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इसमें किसान, मरीज और आम जनता शामिल है। अब एक और योजना शुरू होने जा रही है, जिससे कारीगरों और शिल्पकारों को फायदा होगा। केंद्र सरकार ने परंपराओं, संस्कृतियों, स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और कारीगरों और शिल्पकारों को ऋण प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को विश्वकर्मा जयंती पर इस योजना का शुभारंभ करेंगे। इसमें पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को तीन लाख रुपये का ऋण दिया जाएगा।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इस योजना का लाभ केवल उन्हीं कारीगरों को मिलेगा, जिन्होंने बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। इन कारीगरों और शिल्पकारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के रूप में पहचान मिलेगी।
इन्हें मिलेगा लाभ
बढ़ई, लोहार, सुनार, राजमिस्त्री, नाई, धोबी, दर्जी, मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाले, मोची/जूता बनाने वाले कारीगर, खिलौना निर्माता, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता व अन्य।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, योजना के तहत लाभार्थियों को 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। यह योजना बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण दोनों के माध्यम से कौशल बढ़ाने के लिए पांच प्रतिशत की रियायती दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) का ऋण प्रदान करेगी।