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राज्य वन को अपनी इच्छानुसार परिभाषित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
New Delhi: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने 'डीम्ड फॉरेस्ट' (मानित वन) से जुड़ी एक खबर का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने वन क्षेत्रों को बर्बाद कर दिया है। रमेश ने जिस खबर का हवाला दिया, उसमें कहा गया है कि ओडिशा सरकार ने 11 अगस्त को जारी वह विवादास्पद आदेश वापस ले लिया है, जिसमें जिला अधिकारियों से कहा गया था कि हाल ही में संशोधित वन अधिनियम के तहत एक श्रेणी के रूप में 'डीम्ड फॉरेस्ट' का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
डीम्ड फ़ॉरेस्ट वे भौतिक क्षेत्र हैं जो देखने में जंगल प्रतीत होते हैं, लेकिन ऐतिहासिक या आधिकारिक रिकॉर्ड के तौर पर इस रूप में सूचीबद्ध नहीं हैं। भारत में कुल वन भूमि का लगभग एक प्रतिशत हिस्सा डीम्ड वनों का है। उच्चतम न्यायालय ने 1996 में व्यवस्था दी थी कि सरकारों को वनों की पहचान और वर्गीकरण करना चाहिए। राज्य वन को अपनी इच्छानुसार परिभाषित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "पिछले सप्ताह वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में खतरनाक संशोधन पारित होने के बाद, ओडिशा सरकार ने तुरंत आदेश पारित किया कि 'डीम्ड' वनों को अब वन नहीं माना जाएगा। अब केंद्रीय वन मंत्रालय का कहना है कि राज्य का आदेश वापस ले लिया गया है। यह पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है।". उन्होंने आरोप लगाया कि 'डीम्ड' वनों को ख़त्म करने की जल्दबाजी में मोदी सरकार ने वास्तव में वनों को बर्बाद कर दिया है।